Khadi India gift card:
नई दिल्ली, एजेंसियां। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने ‘खादी दिवाली महोत्सव’ के अवसर पर देश का पहला ‘खादी इंडिया-एसबीआई रुपे प्रीपेड गिफ्ट कार्ड’ लॉन्च किया। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। डिजिटल माध्यम से खरीदारी को बढ़ावा देने वाला यह कार्ड पारंपरिक पेपर कूपन का आधुनिक विकल्प है और उपभोक्ताओं को खादी उत्पादों पर विशेष छूट भी प्रदान करेगा।
कार्यक्रम और उद्घाटन
दिल्ली के पीतमपुर स्थित दिल्ली हाट में आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन KVIC के चेयरमैन मनोज कुमार ने किया। इस अवसर पर उत्तर-पश्चिम दिल्ली से सांसद योगेंद्र चंदोलिया, त्रिनगर विधायक तिलक राम गुप्ता और पूर्व महापौर जयप्रकाश भी मौजूद रहे। SBI और KVIC के वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि यह कार्ड देशभर के Khadi India स्टोर्स और ई-कॉमर्स पोर्टल www.khadiindia.gov.in
पर मान्य होगा और प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर SMS अलर्ट मिलेगा।
कार्ड की विशेषताएं और उपयोग
खादी इंडिया-एसबीआई रुपे प्रीपेड गिफ्ट कार्ड एक डिजिटल भुगतान साधन है, जिसमें 16 अंकों का यूनिक नंबर और PIN सुरक्षा के लिए उपलब्ध है। कार्ड में पूर्व-स्वीकृत राशि पहले से लोड रहती है, जिसे केवल खादी उत्पादों की खरीद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी वैधता तीन वर्ष तक है और उपयोगकर्ता एसबीआई पोर्टल या एटीएम के माध्यम से बैलेंस और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देख सकते हैं।
खादी दिवाली महोत्सव और प्रदर्शनियाँ
20 अक्टूबर तक चलने वाले महोत्सव में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के 50 स्टॉल लगे हैं। इनमें खादी वस्त्र, हस्तशिल्प, हर्बल उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, शहद, अगरबत्ती, लेदर उत्पाद आदि प्रदर्शित किए गए। प्रदर्शनी का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों की आमदनी बढ़ाना और स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करना है।
KVIC का दृष्टिकोण और उपलब्धियाँ
KVIC के चेयरमैन मनोज कुमार ने बताया कि बीते 11 वर्षों में खादी उत्पादन 27,000 करोड़ से बढ़कर 1,16,000 करोड़ और बिक्री 33,000 करोड़ से बढ़कर 1,70,000 करोड़ रुपए तक पहुंची है। इस क्षेत्र में करीब 2 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। उन्होंने उपभोक्ताओं से स्वदेशी वस्त्र और उत्पाद अपनाने का संकल्प लेने की अपील की।
यह महोत्सव केवल खरीदारी का अवसर नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण कारीगरों और कलाकारों की कला और आर्थिक सशक्तिकरण को प्रदर्शित करने का भी मंच है, जो भारत की स्वदेशी कारीगरी को संरक्षित रखने में योगदान देगा।
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