Govardhan Puja:
नई दिल्ली, एजेंसियां। गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिवाली उत्सव का प्रमुख दिन माना जाता है और इसे अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली पर उठाया था। इसके उपलक्ष्य में भक्त गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण के साथ-साथ गायों को भी चारा खिलाते हैं।
क्या है गोवर्धन पूजा की खास परंपरा?
गोवर्धन पूजा की खास परंपरा है छप्पन भोग। इसमें 56 प्रकार के व्यंजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व गहरा है। कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाया, तब उन्होंने कुछ नहीं खाया और इस दौरान गोपियों ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया। सात दिन × 8 पहर = 56 पहर, इस कारण से छप्पन भोग की परंपरा शुरू हुई।
छप्पन भोग क्यों है इतना अहम ?
छप्पन भोग सिर्फ स्वाद का प्रतीक नहीं है, बल्कि धार्मिक विधान और संदेश भी छिपा है। अनाज और दालें धरती के आहार का प्रतीक हैं, मिठाइयां खुशियों और आनंद का प्रतीक हैं। नमकीन और खट्टे व्यंजन जीवन के विविध अनुभवों को दर्शाते हैं, जबकि फल और मेवे प्रकृति की भेंट माने जाते हैं। दूध, दही और घी ब्रजवासियों की आत्मा का प्रतीक हैं और भगवान कृष्ण के बचपन की याद दिलाते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
इस साल गोवर्धन पूजा का शुभ समय सुबह 06:20 बजे से 08:38 बजे तक और दोपहर 03:13 बजे से शाम 05:49 बजे तक रहेगा। भक्त इस समय पूजा-अर्चना कर भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन भक्त प्रकार-प्रकार के पकवान बनाकर गोवर्धन पर्वत के आकार में सजाते हैं और भगवान को अर्पित करते हैं। गोवर्धन पूजा और छप्पन भोग की परंपरा भक्ति, प्रेम और आभार का प्रतीक मानी जाती है।
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