दिल्ली,एजेंसियां। बढ़ते प्रदूषण की वजह से 9 नवंबर को दिल्ली की हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट ने बताया कि सुबह नौ बजे दिल्ली के बवाना और मोतीबाग में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 409 पर पहुंच गया।
वहीं दिल्ली के अधिकतर इलाक़ों में एक्यूआई 300 से 400 तक रहा। प्रदूषण की वजह से दिल्ली में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति पैदा हो गई है। स्कूल बंद कर दिए गए हैं और लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है।
अस्पतालों में हज़ारों मरीज़ सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए आ रहे हैं। इस वजह से दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित हवाओं में से एक सांस लेने की वजह से हो रहा है।
दुनिया के पांच सबसे ज़्य़ादा प्रदूषित शहर- गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा दिल्ली के 80 किलोमीटर के दायरे में ही हैं। एयर क्वालिटी के लिहाज़ से इस 80 किलोमीटर के दायरे की हवा सबसे ख़राब है।
पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने 2018 में भारत के शहरों में प्रदूषण की स्थिति पर एक अध्ययन कराया था। इसके मुताबिक़ उस वक़्त दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 भारत के थे।
इस अध्ययन के मुताबिक़ इन शहरों की हवा में ख़तरनाक कणों का स्तर डब्ल्यूएचओ के सुरक्षित मानकों से काफी ऊपर था।
हवा में घुले इन महीन विषैले कणों को पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम 2.5) कहा जाता है। ये महीन कण धुएं में मौजूद कार्बन के कण या धूल के कण या इनका मिश्रण हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ के आकलन के मुताबिक़ दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोग दिल्ली के मौजूदा स्मॉग जैसे हालात की चपेट में आकर समय से पहले मर जाते हैं। ऐसे हालात की वजह से स्ट्रोक, दिल का दौरा, डाइबिटीज़,फेफड़ों का कैंसर या फेफड़ों की बीमारी की आशंका बढ़ जाती है।
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