बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को केंद्र सरकार के सूखा राहत राशि जारी करने में देरी के खिलाफ यहां धरना दिया और इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की निंदा की।
सिद्धरमैया ने कहा कि विधान सौध के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया जहां विधानमंडल और राज्य सचिवालय स्थित हैं।
उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक और उसके लोगों के साथ किए गए ‘अन्याय’ की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करना था।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और शाह ‘कर्नाटक और इसके किसानों से नफरत करते हैं’ जिसके कारण सात महीने के गंभीर सूखे के बाद भी सूखा राहत राशि जारी नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने 100 साल में इतना भीषण सूखा नहीं देखा है। उन्होंने सरकारी सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के 240 में से 223 तालुक सूखा प्रभावित हैं।
सिद्धरमैया ने सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, ‘‘मोदी और अमित शाह कर्नाटक और इसके किसानों से नफरत करते हैं।
जब हमने उनसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के मानदंडों के अनुसार सूखा राहत सहायता प्रदान करने के लिए कहा, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।’’
कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, मंत्री रामलिंगा रेड्डी और कृष्णा बायरे गौड़ा और कुछ कांग्रेस सांसद और विधायक भी इस दौरान उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि सहायता राशि जारी करने की मांग को लेकर केंद्र को कई ज्ञापन दिये गये लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का आकलन है कि एनडीआरएफ मानदंडों के अनुसार सूखा राहत कार्य के लिए 18,171 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
सिद्धरमैया ने कहा कि अपर्याप्त बारिश के कारण 48,000 हेक्टेयर में खड़ी फसलें नष्ट हो गईं और राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से प्रत्येक किसान को 2,000 रुपये का भुगतान किया जिससे 34 लाख किसानों पर कुल 650 करोड़ रुपये का खर्च आया।
सिद्धरमैया ने कर्नाटक को सूखा प्रबंधन राशि प्रदान करने के मुद्दे पर ‘हस्तक्षेप’ करने के लिए उच्चतम न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त किया।
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