Judge Shekhar Yadav:
इलाहाबाद, एजेंसियां। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव इन दिनों विवादों के घेरे में हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिए गए उनके विवादित बयान के बाद राज्यसभा के 54 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दायर किया था। यह मामला इस समय राज्यसभा के सभापति के पास लंबित है और प्रक्रियात्मक अड़चनों में उलझा हुआ है।
Judge Shekhar Yadav:क्या है मामला?
जस्टिस यादव ने कार्यक्रम में कुछ ऐसे बयान दिए थे, जिन्हें न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करने वाला बताया गया। इसे आधार बनाकर विपक्षी दलों ने महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, इस प्रस्ताव की मंजूरी के लिए तकनीकी औपचारिकताएं पूरी करना जरूरी है।
Judge Shekhar Yadav:हस्ताक्षर जांच में अड़चन
महाभियोग प्रस्ताव को वैध बनाने के लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर प्रमाणित होने चाहिए। अभी तक केवल 44 सांसदों के हस्ताक्षरों का सत्यापन हो पाया है। 6 अन्य सांसदों ने मौखिक रूप से दावा किया है कि उन्होंने भी दस्तावेज पर साइन किए थे, जिससे कुल संख्या 50 पहुंचती है, लेकिन लिखित पुष्टि अभी नहीं हो सकी है।
Judge Shekhar Yadav:दोहराए गए हस्ताक्षर का विवाद
राज्यसभा सचिवालय को एक सांसद के दो बार हस्ताक्षर करने की शिकायत भी मिली है। जब दोबारा साइन के लिए संबंधित सांसद को बुलाया गया तो उन्होंने मना कर दिया। इससे प्रक्रिया में और जटिलता आ गई है।
Judge Shekhar Yadav:तकनीकी खामियों से अटक सकता है प्रस्ताव
अगर हस्ताक्षरों में कोई गड़बड़ी या दोहरे साइन, प्रारूप की त्रुटि जैसी तकनीकी गलती पाई जाती है, तो महाभियोग प्रस्ताव खारिज किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, 1920 सांसदों के हस्ताक्षरों का सत्यापन भी अभी लंबित है।
इसे भी पढ़ें