रांची। JSSC CGL- 2023 पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। SIT जांच में पता चला है कि एक परीक्षार्थी की पत्नी ने ही क्वेश्चन पेपर की सेटिंग की थी।
इस खुलासे के बाद अधिकारियो को जवाब देते नहीं बन रहा है। JSSC CGL- 2023 के पेपर लीक मामले में रांची पुलिस की एसआईटी ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में पेपर लीक के लिए परीक्षा एजेंसी सतवत इंफोसोल प्रा. लि. और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छापाखाने से लेकर रांची ट्रेजरी में पेपर रखने में भारी सुरक्षा चूक हुई। ट्रक से पेपर उतारकर ट्रेजरी में रखने के दौरान कई कर्मचारियों और मजदूरों को लगाया गया। सभी मोबाइल लेकर ट्रेजरी के अंदर गए, जहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं थे।
परीक्षा एजेंसी ने ऐसे बरती लापरवाहीः
दरअसल पेपर तैयार करने की जिम्मेदारी सतवत इंफोसोल के जिम्मे था। पूरा काम एजेंसी के क्लाइंट रिलेशनशिप मैनेजर तन्मय कुमार दास की देखरेख में हुआ।
पेपर चेन्नई और रांची के शिक्षकों ने तैयार किया। पंचपरगनिया भाषा का पेपर रांची वीमेंस कॉलेज की सहायक प्रोफेसर सबिता कुमारी मुंडा ने सेट किया था। इसमें उनके पति एंथोनी मुंडा ने सहयोग किया, जो खुद सीजीएल परीक्षा दे रहे थे।
सबिता ने यह बात आयोग और परीक्षा एजेंसी से छिपा ली। सबिता जनवरी 2018 से अनुबंध पर रांची यूनिवर्सिटी के वीमेंस कॉलेज में पढ़ा रही हैं।
28 जनवरी को पश्चिम सिंहभूम के लुपुंगगुटू स्थित संत जेवियर स्कूल में एंथोनी ने परीक्षा दी थी। लेकिन पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी।
मोबाइल पर भेजा गया था सिलेबसः
नागपुरी भाषा का पेपर खूंटी के बिरसा कॉलेज में अनुबंध पर कार्यरत सहायक प्रोफेसर अंजुलता कुमार ने तैयार किया था।
उन्होंने एसआईटी को बताया-तन्मय ने नवंबर 2023 में सीजीएल परीक्षा के लिए तीन सेट में नागपुरी के 100 प्रश्न तैयार करने को कहा। कोई भी पत्र देने से इनकार करते हुए उनके मोबाइल पर सिलेबस भेज दिया।
एक माह बाद उन्होंने पेपर तैयार कर लिफाफे में तन्मय को दे दिया। उस पर न कोई सील था, न ही हस्ताक्षर।
कुछ दिन बाद फिर पेपर भेजकर सुधार करने को कहा। 28 जनवरी को परीक्षा में जो पेपर दिया गया, उसमें अधिकतर प्रश्न उनके तैयार किए हुए थे।
सबिता के पति के लैपटाप में है ऑरिजनल पेपरः
सबिता के मुताबिक पीएचडी करने के दौरान तन्मय से पहली बार मिली थी। सितंबर 2022 में तन्मय ने फोन कर एक माह में तीन सेट में पेपर तैयार करने को कहा।
सिलेबस वॉट्सएप पर भेजा गया। उन्होंने इसमें पति की मदद ली। पेपर पति के लैपटॉप पर तैयार किया गया। इसका प्रिंटआउट तन्मय को दे दिया, जबकि ऑरिजनल पेपर लैपटॉप में ही था।
एक माह बाद तन्मय ने फिर तीन सेट में पेपर तैयार करने को कहा। पेपर तैयार होने पर एंथोनी लैपटॉप लेकर बस स्टैंड पहुंचा, जहां तन्मय ने पेन ड्राइव में पेपर कॉपी कर लिया और मूल पेपर लैपटॉप में छोड़ दिया। पेपर सेट करने के लिए कोई लिखित एग्रीमेंट भी नहीं हुआ था। बस फोन पर बात हुई थी।
प्रिंटिंग का न सीसीटीवी फुटेज मिला, न ही एसओपीः
पुलिस ने सतवत इंफोसेल के नेटवर्क को-ऑर्डिनेटर ए अरविंद से पेपर की छपाई के दौरान का सीसीटीवी फुटेज मांगा।
उन्होंने बताया कि डीवीआर में सिर्फ 15 दिन का वीडियो फुटेज स्टोर रहता है। तब का फुटेज नहीं है।
पुलिस ने कंपनी की सीईओ सुनिधि रमेशनन से परीक्षा संचालन को लेकर तैयार एसओपी मांगी तो बताया गया कि ऐसा कुछ तय नहीं है।
एजेंसी पर आपराधिक केस दर्ज करना चाहती है पुलिसः
रिपोर्ट में यह भी है कि प्रश्न पत्रों की टाइपिंग, छपाई, पैकेजिंग, भंडारण की जगह सीसीटीवी की निगरानी में होनी चाहिए, जो नहीं किया गया। ऐसे में कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य नष्ट करने का आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए।
इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं किया गयाः
एसआईटी 14 फरवरी को चेन्नई के पेरूंगुडी के राजीव नगर स्थित सतवत इंफोसोल के प्रिंटिंग प्रेस पहुंची। निरीक्षण में पाया गया कि प्रिंटिंग वाले कमरे के दरवाजे में छेद था, जहां से आसानी से पेपर बाहर फेंका जा सकता था।
पेपर तैयार करने की जिम्मेदारी एजेंसी के अधिकारी मधुमति व कुलन्दई येसु पर थे। इनके नेतृत्व में 20 लोगों ने पेपर की छपाई की।
प्रिंटिंग प्रेस जाने से पहले उनका मोबाइल जमा करा लिया जाता था। लेकिन मशीन की खराबी ठीक करने एक कारीगर तीन दिन मोबाइल लेकर अंदर गया। कुछ तस्वीरें भी खिंची।
तीन लिफाफे में जेएसएससी को तीन सेट दिए गए थे। उसमें एक सेट का चयन कर जेएसएससी ने तन्मय को दिया था। तब जेएसएससी ने विशेष सतर्कता नहीं बरती।
प्रिंटिंग प्रेस के मेंटेनेंस मैकेनिक आर प्रवीण ने बताया कि कई बार छपे पेपर को मैनुअली हैंडल किया गया। वहीं एक कर्मचारी राजेश कई बार छपाई वाली जगह जाता था और मोबाइल से मशीन आदि की फोटो लेता था।
11 कंटेनर से पेपर व 3 कंटेनर से ओएमआर शीट रांची भेजा गया। एजेंसी के कर्मचारी ही साथ थे। कंटेनर की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी।
रांची पहुंचने पर पेपर व ओएमआर शीट जेएसएससी व ट्रेजरी अफसर की मौजूदगी में रांची ट्रेजरी में रखा गया। बाहर तो वीडियोग्राफी कराई गई, लेकिन अंदर वीडियोग्राफी नहीं हुई, जबकि कर्मचारी व मजदूरों के पास मोबाइल थे।
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