रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने केंद्र सरकार के आम बजट को निराशाजनक बताया है। झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश किया गया आज का आम बजट आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि खास लोगों के लिए बनाया गया है।
कहा कि ये बजट प्रधानमंत्री की कुर्सी बचाओ या सत्ता बचाओं योजना के अंतर्गत आया है। ये बजट देश के लिए कतई नहीं है।
इस बजट से ये जाहिर हुआ कि केंद्र सरकार अंदर से कितनी डरी हुई है। इस डर के कारण ही आंध्र प्रदेश पर खास ध्यान दिया गया है। साथ ही बिहार पर भी बजट को फोकस किया गया है।
थोड़ा ध्यान ओडिशा पर भी दिया गया है। इससे ऐसा लगता है कि बाकी 27 राज्य इस देश में हैं ही नहीं।
कहा कि बीजेपी ने हालिया चुनावों को मुद्दाविहीन होकर लड़ा। केवल सांप्रदायिक बातें की। बजट भी उसी की झलक जैसा है।
कृषि सेक्टर की भी उपेक्षा की गई
सुप्रियो ने कहा कि बजट में सबसे उपर एग्रीकल्चर सेक्टर आता है। इससे पहले के बजट में एग्रीकल्चर के लिए कुल राशि का 6.5 प्रतिशत हिस्सा हुआ करता था।
आज ये घटकर 3.9 प्रतिशत पर आ गया है। बजट में एमएसपी की कोई चर्चा नहीं है। जो अत्यंत अहम सेक्टर है और जिससे पेट भरा जाता है, उस पर कोई बात नहीं हुई। केवल फल और सब्जी पर बात हुई।
कहा बजट में दूसरा अहम मुद्दा रोजगार का होता है। केंद्र ने कल आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए देश में बेरोजगारी दर को 3.2 प्रतिशत बताया। लेकिन सरकार की ही एक सहयोगी संस्था है सीएमआईई।
ये एजेंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी रिपोर्ट करती है। इस एजेंसी का आकलन है कि देश में बेरोजगारी दर 9.2 तक पहुंच गयी है। ये एक बड़ा घालमेल है। किसी नई नौकरी या सरकारी नौकरी की घोषणा तक नहीं हुई।
30 लाख सरकारी पद खाली
सुप्रियो ने कहा कि देश में सरकारी नौकरी के 30 लाख पद खाली हैं। इन पर नियुक्ति के संबंध में कोई बात नहीं हुई। कहा, बजट में कहा गया कि देश में जो बड़ी कंपनियां हैं, उनमें अगले 5 साल में देश के एक लाख युवाओं को स्थाई नौकरी दी जायेगी और वेतन होगा 5000 रुपया।
कहा ये स्थाई नौकरी होगी। कहा इसक मतलब ये हुआ कि हर साल 20000 लोगों को ही नौकरी दी जायेगी वो भी 5000 रूपये की। जो आईआईटी से पढ़े हुए हैं, उनको भी 5000 रुपये की ही नौकरी मिलेगी।
जो आईटीआई से पढ़े हैं, उनको भी 5000 रुपये की नौकरी मिलेगी। कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में बहुत सारे रोजगार पैदा किये जा सकते हैं। लेकिन इस सेक्टर पर कोई बात नहीं की गयी।
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