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रांची। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 का देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद), राज्यों की जीएसडीपी और प्रति व्यक्ति आय की रिपोर्ट जारी कर दी है। सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के आंकड़ों का आकलन करें, तो झारखंड की स्थिति कई दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर दिखती है। प्रति व्यक्ति आय 15 साल में करीब तीन गुना तक बढ़ी है।
2010- 11 में प्रति व्यक्ति आय 41,254 रुपए थाः
वर्ष 2010- 11 में प्रति व्यक्ति आय 41,254 रुपए था। वह बढ़कर अब 1,16,663 रुपए हो गया है। यह बिहार और उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी अधिक है। बिहार में प्रति व्यक्ति आय 69,323 रुपए और यूपी का 1,08572 रुपए है। वैसे जीएसडीपी और प्रति व्यक्ति आय के मामले में गुजरात,गोवा समेत 9 राज्यों का आंकड़ा अभी नहीं आया है।
जीएसडीपी में भी झारखंड की स्थिति बेहतरः
जीएसडीपी में भी झारखंड की स्थिति कई राज्यों से बेहतर है। वर्ष 2011-12 में यह 1,50,918 करोड़ रुपए था। जो 2024-25 में बढ़कर 5,16,255 करोड़ पहुंच गया है। पिछले वर्ष की तुलना में जीएसडीपी की वृद्धि दर 10.87% है। प्रति व्यक्ति आय में भी 9.51% की बढ़ोतरी हुई है। जीएसडीपी ग्रोथ रेट में 34 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में झारखंड 11 वें स्थान पर है।
वर्षवार जीएसडीपी और प्रति व्यक्ति आय वृद्धिः
वर्ष जीएसडीपी वृद्धि प्रति व्यक्ति आय वृद्धि
2015-16 206613 -5.45% 52754 -7.93%
2016-17 236250 14.34% 60018 13.77%
2017-18 269816 14.21% 67484 12.44%
2018-19 305695 13.30% 75421 11.76%
2019-20 310305 1.51% 75016 -0.54)%
2020-21 296664 -4.40% 69963 -6.74%
2021-22 316127 26.70% 88500 26.50%
2022-23 414308 10.15% 95839 8.29%
2023-24 465638 12.39% 106529 11.15%
2024-25 516255 10.87% 116663 9.51%
अनुमान के अनुरूप वृद्धिः
झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट में जो अनुमान लगया गया था, लगभग उसी के अनुरूप प्रति व्यक्ति आय की राशि सामने आई है। बजट से एक दिन पूर्व विधानसभा में पेश झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2024-25 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय (वर्तमान मूल्य पर)1,14,271 रुपए और (स्थिर मूल्य पर 72,836 रुपए) होने का अनुमान लगाया गया था। जीएसडीपी के लिए 5,56,286 करोड़ रुपए होने का अनुमान था। अब केंद्र की रिपोर्ट में भी 2024-25 में झारखंड का जीएसडीपी 5 लाख 16 हजार 255 करोड़ और प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 16 हजार 663 रुपए घोषित किया गया है।
राज्य बनने के बाद अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ीः
साल 2000 में जब झारखंड देश का नया राज्य बना, तब लोगों की उम्मीदें बड़ी थीं। शुरुआती दौर में अर्थव्यवस्था का आकार बहुत छोटा था। मसलन 1999–2000 में 34,323 करोड़ की अर्थव्यवस्था थी। आज यह कई गुना बढ़ चुकी है। 2024–25 में यह करीब 1.17 लाख तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा बिहार (69,323 रुपए) और उत्तर प्रदेश (1.07 लाख) से बेहतर है। लेकिन ओडिशा (1.83 लाख), छत्तीसगढ़ (1.66 लाख) और पश्चिम बंगाल (1.63 लाख) से पीछे है। फिर भी, गरीबी का बोझ झारखंड पर भारी है। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के अनुसार राज्य अभी भी सबसे गरीब राज्यों में गिना जाता है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में गरीबी का स्तर अधिक है, परन्तु झारखंड की स्थिति भी उनसे बहुत अलग नहीं है। दूसरी ओर केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने गरीबी और असमानता को काफी हद तक घटा लिया है। रोजगार के मोर्चे पर तस्वीर मिश्रित है। आंकड़े बताते हैं कि बेरोज़गारी दर राष्ट्रीय औसत से कम है (लगभग 1.7%)। यहां अधिकतर लोग असंगठित कामकाज या कृषि पर ही निर्भर हैं। यानी रोजगार तो है, लेकिन स्थिर और सम्मानजनक नौकरियों की कमी बनी हुई है। स्वास्थ्य और पोषण का हाल और भी चिंताजनक है। एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट कहती है कि राज्य के लगभग चार में से दो बच्चे कुपोषित हैं और महिलाओं में खून की कमी आम है।
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