Wednesday, October 1, 2025

मांदर की थाप और करम गीत से गुंजायमान है झारखंड की फिजा [Jharkhand’s atmosphere is resonating with Maander’s beats and Karam songs]

- Advertisement -

रांची। भाद्र मास के एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला करम पर्व को लेकर मांदर की थाप सुनाई देने लगी है। करम पर्व के गीत भी सुनाई देने लगे हैं।

इसके साथ ही पूरे वातावरण में एक मस्ती सी धुलने लगी है। करमा झारखंड के आदिवासियों का एक प्रमुख पर्व है। आदिवासी समाज अपनी आस्था और मान्यता को लेकर कई पर्व मनाते हैं।

इनमें से एक है कर्मा पूजा। इस पूजा में महिलाएं 24 घंटे उपवास करती हैं। इस दौरान महिलाएं कर्मडाल की पूजा करती है। जिसे भाई मानकर अपने घर परिवार और समाज को सुरक्षित रखने के लिए व्रत रखती हैं। इस दौरान कई तरह के गीत गाए जाते हैं।

क्या होती है कर्मा पूजा?

दरअसल, कर्मा पूजा भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पूजा 14 सितंबर को मनाई जाएगी। जिसे लेकर अपने अपने क्षेत्र में आदिवासी समाज ने तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान कई तरह के गीत गाए जाते हैं।

करमा पर्व प्रकृति की पूजा है, किंतु इस पर्व को भाई बहन के प्यार का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

करमा पूजा के एक सप्ताह पूर्व से यहां की महिलाएं एकत्रित होकर गीत गाते हुए गांव के आसपास के किसी नदी नाला के किनारे जाती है और वहां स्नान करती है और नया डाला बांस की टोकरी में बालू उठा कर लाती है और इस बालू में विभिन्न प्रकार के बीज यथा गेहूं, मकई, जो, चना इत्यादि धोकर रख देती है।

इसे जावा उठाओ भी कहते हैं। जब इस डाला को सुरक्षित रखने के लिए कुछ व्रती का चुनाव किया जाता है। जिसे डालयतीन कहा जाता है। और इसे डाला को डालयतीन अपने घरों में रखते है।

इस डाले को प्रत्येक दिन सुबह तथा शाम को आखडा में या किसी आंगन में निकाल कर जावा गीत गाती और नाचती है। कर्मा जावा लोकगीत काफी प्रचलित है, जो मौखिक रूप से झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।

जावा उठाने के दिन से ही करम यतीन बहुत ही पवित्र और संयम से करम देवता के नाम से ध्यान मग्न हो जाती है। इस अवधि में शुद्ध शाकाहारी और पवित्रता के साथ भोजन या अन्य ग्रहण करती है।

चार-पांच दिन के बाद डाला में डाले हुए बीज अंकुरित होकर 4-5 इनच बढ़ जाते हैं। जावा अंधकार में रहने के कारण इसका रंग पीलापन लिए हुए रहता है। इसकी सुंदरता देखने लायक होती है और इसे जावा फूल भी कहते हैं।

करम पेड़ की होती है पूजा

करमा पूजा (karma puja) में करम पेड़ की पूजा की जाती है इस पेड़ की खोज कर्म पूजा के 5 दिन पूर्व से ही कर्म यतीन की भाइयों के द्वारा जंगल में की जाती है।

करम पूजा के दिन सुबह में ही गांव के युवक या कहीं कहीं पाहन कर्म डाली लाने के लिए जंगल की ओर निकल जाते हैं।

युवक जंगल में कर्म पेड़ के आसपास दिनभर समय बिताते हैं और शाम होने के पूर्व पेड़ से दो डाली काटकर गांव ले आते हैं।

कर्म यतीम अर्थात कर्म पूजा करने वाली महिलाएं दिन भर उपवास कर शाम में पूजा करने के लिए तैयार होती है और कर्म डाली का इंतजार करते रहती है।

जब कर्म की डाली गांव की सीमा के बाहर आ जाती है तो गांव के युवक खासकर जो कर्म करमा पूजा (karma puja) कर रही होती है उनके भाई ढोल नगाड़ा बजा ते हुए कर्म डाली को अखड़ा तक लाते हैं।

करमा पूजा के दिन करम यतीम उपवास रखती है और दिन में कई बार जावा को निकालकर जगाती है।

करमा पूजा के दिन जब करम डाली अखरा में आ जाती है, तो सभी करम यतीन स्नान ध्यान कर पूजा की सामग्री लेकर आखरा में पहुंचती है।

करम डारि को सजाने और चढ़ये जाने वाला फूल

कर्म डाली को सजाने के लिए गलफुली घास के फूलों का प्रयोग क्या जाता है। गर्ल फुली घास सेहार बनाकर करम दार को सजाया जाता है।

करम दार को चढ़ाने के लिए कदो फूल का उपयोग किया जाता है। कदो फूल को खोरठा भाषा भाषी क्षेत्र में बेलोजन फूल के नाम से जाना जाता है। जिससे कर्म लोकगीत में देखा जा सकता है।

झारखंड में करमा पूजा (karma puja) बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और करम पूजा से संबंधित कई लोकगीत मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं।

करम पूजा प्रारंभ होने के 7 दिन पूर्व से ही जावा उठाओ के दिन से लोकगीत गाए जाते हैं और कर्म पूजा समाप्ति के बाद तक गीत गाए जाते हैं।

करम गीत के कई प्रकार है और इसके कई लय और ताल है राग है। झारखंड क्षेत्र में आदिवासियों और सदनों के बीच जो करम पर्व के गीत हैं उसके भाव समान है।

बेलोजन फूल या कदो फूल वास्तव में फूल नहीं होते है यह एक प्रकार का कीचड़ में उगने वाला पौधा होता है जिस में फूल नहीं होता है।

उसकी पत्तियां काफी खुशबूदार होती है पत्तियां सूख जाने के बाद भी काफी दिनों तक सुगंधित रहती हैं। यह बेलोजन फूल धान के खेतों में अर्थात धान के कीचड़ में उगता है। जिस कारण कदो फूल के नाम से जाना जाता है। खोरठा भाषा में कीचड़ को कादो कहा जाता है।

करम पूजा का प्रारम्म और पूजा की सामग्री(laws of karma)

शाम के समय सभी व्रती स्नान ध्यान कर पूजा की सामग्री थाली में लेकर अखरा में पहुंच जाती है। पाहन, या पंडित पूजा अर्चना प्रारंभ कर करम डार को गाडा जाता है और चारों तरफ पूजा करने वाले पार्वती गोलबंद होकर बैठ जाती है।

पार्वती कर्म डाली के नीचे जहां गोलबंद होकर बैठ जाती है वहां अपनी थाली के सामने घी का दिया जलाती है।

प्रसाद के रूप में किसी प्रकार का मिठाई या पकवान नहीं चढ़ाया जाता है बल्कि चना का अंकुर और खीरा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को अंकुरी बटोरी कहा जाता है।

पूजा और पुजारी

करमा पूजा (karma puja) का पुजारी पहन या गांव के बुजुर्ग व्यक्ति होता है। पूजा के दौरान व्रती से पूछा जाता है कि ‘क्या कर रही है’ इस पर वह कहती है ‘आपन करम भैया का धर्म’ इसे कई बार दोहराया जाता है।

अंत में पर्वती फुल छिट कर पूजा करती है और अंकुरी बटोरी प्रसाद को कर्म के पत्ते में बांधती है। पूजा समाप्त होते ही कर्म यतीन साथ मिलकर नाचती है और खुशियां बनाती है।

झारखंड क्षेत्रों में पूजा समाप्ति के बाद ढोल नगाड़े के साथ पुरुष और महिलाएं साथ में आखरा में नाचते और गाते हैं। किंतु इस आधुनिकता युग में पारंपरिक लोकगीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के स्थान पर डीजे और आधुनिक गानों पर नाच गान भी शुरू हो गया है।

कर्म पूजा के दिन ग्रामीणों की परंपरा

करमा पूजा (karma puja) के दिन प्रायः हर एक परिवार के लोग अपने धान के खेतों में भेलवा की डाली करम की डालीखेतो में गाड़ते है।

खेतों में इन डालियों को गाड़ने की क्रिया को इनद गाड़ना कहते हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है।

ऐसा माना जाता है कि धान के खेतों में भेलवा, करम की डाली खेतों के बीचो-बीच गाड़ने से धान के फसल में लगने वाले कीड़े मकोड़ों से रक्षा होती है। अर्थात इन पेड़ों की डाली गाड़ने से कीड़े नहीं लगते हैं।

करम पर्व झारखंड में सदानो और आदिवासियों के बीच सदियों से मनाया जा रहा है। यह प्रकृति पूजा है साथ ही भाई और बहन का प्रेम के प्रतीक के रूप में इसे मनाया जाता है।

इसे भी पढ़ें

नारे बाजार टांड में करम पूर्व संध्या कार्यक्रम का हुआ आयोजन

WhatsApp Group Join Now

Hot this week

Important Events: 14 जुलाई की महत्त्वपूर्ण घटनाएं [Important events of July 14]

Important Events: 1223 – फिलिप द्वितीय की मृत्यु के...

Mahakali: अक्षय खन्ना का दमदार फर्स्ट लुक आया सामने, निभाएंगे असुरों के गुरु का किरदार

Mahakali: नई दिल्ली, एजेंसियां। प्रशांत वर्मा की आगामी पौराणिक फिल्म ‘महाकाली’ से अभिनेता अक्षय खन्ना का फर्स्ट लुक सामने आया है। फिल्म में अक्षय...

Navratri special: घर पर बनाएं नवरात्रि स्पेशल स्वादिष्ट आटे का हलवा

Navratri special: रांची। नवरात्रि व्रत के दौरान भक्तजन विशेष पकवानों का आनंद लेते हैं। इस अवसर पर घर पर आसानी से बन सकने...

Mumbai-Delhi Indigo flight: मुंबई-दिल्ली इंडिगो फ्लाइट में बम की धमकी, दिल्ली एयरपोर्ट पर इमरजेंसी घोषित

Mumbai-Delhi Indigo flight: नई दिल्ली, एजेंसियां। मंगलवार सुबह मुंबई से दिल्ली आ रही इंडिगो की फ्लाइट 6ई 762 को बम की धमकी मिलने से दिल्ली...

WhatsApp: WhatsApp को कड़ी टक्कर दे रहा भारतीय मैसेजिंग ऐप Arattai, बना नंबर वन

WhatsApp: मुंबई, एजेंसियां। Arattai App: भारत की टेक कंपनी जोहो कॉर्पोरेशन की मैसेजिंग ऐप Arattai इन दिनों धूम मचा रही है। कुछ दिन पहले...

UPSC Recruitment 2025: 213 पदों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 2 अक्टूबर, जल्दी करें आवेदन

UPSC Recruitment 2025: नई दिल्ली, एजेंसियां। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 213 पदों के लिए आवेदन की अंतिम विंडो खोल रखी है, जो...

Vijay Kumar Malhotra RIP: BJP नेता विजय कुमार मल्होत्रा का 94 वर्ष की उम्र में निधन

Vijay Kumar Malhotra RIP: नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली बीजेपी के पहले अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा का 94...

Bihar releases final SIR list: बिहार में SIR की फाइनल लिस्ट जारी, पहले ड्राफ्ट में 65 लाख लोगों के...

Bihar releases final SIR list: पटना, एजेंसियां। चुनाव आयोग ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल लिस्ट मंगलवार को जारी कर दी...

Bhutan Two new Rail: भारत और भूटान के बीच चलेगी ट्रेन, दो नई रेल संपर्क परियोजनाओं को हरी झंडी

Bhutan Two new Rail: नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत और भूटान के बीच ट्रेन चलेगी। केंद्र सरकार ने 4,033 करोड़ रुपये की लागत से...
spot_img

Related Articles

Popular Categories