Bihar elections:
रांची। बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 243 सीटों की जंग में दो आदिवासी सुरक्षित सीटें कटोरिया और मनिहारी झारखंड कनेक्शन के कारण चर्चा में हैं। यहां संथाल और अन्य आदिवासी समुदायों की बहुलता है, जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो का पारंपरिक वोट बैंक मजबूत है। महागठबंधन और एनडीए दोनों की नजरें इन्हें हथियाने पर हैं, जहां झारखंडी नेताओं की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। बिहार में महागठबंधन के घटक दलों में झामुमो की एंट्री ने इन सीटों पर रणनीति को नया मोड़ दिया है।
झामुमो को सीट बंटवारे में ये दोनों सीटें मिलने की उम्मीद है। तालमेल की तस्वीर स्पष्ट होने के बाद झामुमो के नेता बिहार में कैंप करेंगे। इससे पहले पार्टी महासचिव विनोद पांडेय और मंत्री सुदिव्य कुमार पटना में राजद के साथ बैठकें कर चुके हैं।
सीटें मिलने के बाद झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन का इन क्षेत्रों में प्रचार कार्यक्रम तय होगा। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में प्रचार तेज होगा, जिसमें आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए रैलियां और डोर-टू-डोर कैंपेन शामिल हैं।
झामुमो केंद्र की जनजाति नीतियों पर हमला बोलेगा। पार्टी के अन्य नेता भी यहां कैंप करेंगे। 15 अक्टूबर को यहां होने वाली झामुमो की केंद्रीय समिति की बैठक में भी बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की भूमिका पर विमर्श होगा।
झारखंड भाजपा के नेता भी करेंगे प्रचारः
बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड से सटे सीटों पर प्रदेश भाजपा के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसमें प्रदेश अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समेत अन्य नेताओं का इस्तेमाल किया जाएगा।
जल्द ही नेताओं का कार्यक्रम तय कर शिड्यूल भेजा जाएगा। केंद्र की योजनाएं जैसे पीएम जनजाति अभियान और नीतीश कुमार का चेहरा मुख्य हथियार होंगे। झारखंड से कार्यकर्ताओं की टीमें बिहार में चुनावी कैंपेन चला रही हैं। चुनावी कार्य में अनुभवी भाजपा कार्यकर्ताओं को भी राज्य में विभिन्न सीटों पर लगाया गया है।
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