झारखंड, अपनी सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां की भाषाएं और बोलियां राज्य की पहचान और विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं। झारखंड में बोली जाने वाली भाषाओं में लोकजीवन, समाज और परंपराओं की झलक मिलती है।
राज्य की प्रमुख भाषाएं
1. हिंदी:
झारखंड की आधिकारिक भाषा हिंदी है। यह प्रशासन, शिक्षा और सरकारी कार्यों में मुख्य रूप से प्रयोग की जाती है।
2. संथाली
संथाली झारखंड की सबसे प्रमुख आदिवासी भाषा है। यह संथाल समुदाय की भाषा है और इसे 2003 में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
लिपि: ओल चिकी
विशेषता: संथाली गीत, नृत्य और परंपराएं इस भाषा में जीवंत होती हैं।
3. नागपुरी
नागपुरी भाषा, सदर क्षेत्र की प्रमुख बोली है। यह झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करती है।
उपयोग: लोकगीत और लोककथाओं में प्रमुख।
4. खोरठा
खोरठा, जिसे “झारखंड की भाषा” भी कहा जाता है, राज्य के कोयलांचल क्षेत्र में प्रचलित है।
विशेषता: यह झारखंड के आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों को जोड़ने वाली भाषा है।
5. मुंडारी
यह मुंडा समुदाय की प्रमुख भाषा है।
लिपि: देवनागरी या रोमन।
उपयोग: मुंडारी गीतों और रीति-रिवाजों में मुख्य।
6. हो
यह भाषा हो समुदाय द्वारा बोली जाती है।
लिपि: वरांग क्षिति।
प्रचलन: पूर्वी झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में।
7. कुरुख
कुरुख या उरांव भाषा, उरांव आदिवासियों की मातृभाषा है।
लिपि: तोलोंग सिकि।
महत्व: इसे बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
8. पंचपरगनिया
यह भाषा रांची और उसके आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
विशेषता: विभिन्न आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच संवाद का माध्यम।
झारखंड की बोलियां
झारखंड में भाषाओं के साथ-साथ कई बोलियां भी बोली जाती हैं। ये बोलियां लोगों के दैनिक जीवन और सामाजिक संवाद का हिस्सा हैं।
- असुर
- बिरजिया
- मालतो
- माल पहाड़िया
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