लातेहार,एजेंसियां। चुनावी माहौल में दल बदल का खेल जोरों पर है। नेता तो नेता कार्यकर्ता भी दल बदल का कोई मौका चूकना नहीं चाह रहे हैं। दल बदलने वाले नेताओं की विचारधारा भी दल बदलने के साथ ही बदल जा रहे हैं।
कल तक जिस पार्टी को पानी पी पीकर कोस रहे थे, उस पार्टी में शामिल होते ही भाषा बदल जा रही है। दुश्मन पार्टी में ही उज्जवल भविष्य नज़र आने लग रहा है। ताजा मामला चंदवा प्रखंड से है, जहां पुराने कांग्रेसी नेता रहे लखन जायसवाल अचानक भाजपा में शामिल हो गए।
काफी मन मलाल के बाद पूर्व राजयसभा सांसद धीरज साहू के पहल पर पुनः कांग्रेस में वापस तो आ गए, पर एक सवाल छोड़ गए कि क्या वजह रही की इतने पुराने कांग्रेसी को पार्टी छोड़ने की नौबत क्यूं आई। अभी ये मामला ठंढा भी नहीं पड़ा था कि नया मामला आ गया।
दरअसल भाजपा में शामिल हुए बारियातू के पूर्व कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष व राजद नेता रहे वीरेंद्र यादव ने भी बुधवार को घर वापसी कर ली। इंडिया गठबंधन प्रत्याशी सह राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम की मौजूदगी में पुनः राष्ट्रीय जनता दल में वापस आ गए।
अब ऐसे में यक्ष प्रश्न यह उठता है कि नेताओं की वापसी भले ही दल में हो गई हो पर दिल कितना पुराने दल से जुटता है।
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