पिछले वर्ष 90 प्रतिशत संस्थानों को एंट्रेंस से नहीं मिले थे स्टूडेंट्स
रांची। एक बार फिर झारखंड में नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वाले विद्यार्थियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। क्योंकि झारखंड एकेडमिक काउंसिल समेत अन्य बोर्डों 12वीं का रिजल्ट लगभग दो माह पहले घोषित किया गया था।
इसमें काफी संख्या में छात्र नर्सिंग क्षेत्र में पढ़ाई के इच्छुक हैं। लेकिन अभी तक झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीईसीईबी) द्वारा नर्सिंग कोर्सों में एडमिशन के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा का शिड्यूल जारी नहीं किया गया है।
छात्र कर रहे पलायन
नर्सिंग पढ़ाई से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रवेश परीक्षा के नोटिफिकेशन में विलंब के कारण यहां के स्टूडेंट्स दूसरे राज्यों में पलायन करना शुरू कर दिए हैं।
जबकि आर्थिक रुप से कमजोर परिवार से आने वाले छात्र विवश होकर नर्सिंग की जगह दूसरे विषयों में करियर तलाशना शुरू कर दिए हैं।
नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अधर पर लटका नजर आ रहा है। पिछले साल भी विलंब से नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रोसेस शुरू हुआ था। इस कारण 90 प्रतिशत नर्सिंग संस्थानों को प्रवेश परीक्षा के माध्यम से स्टूडेंट्स नहीं मिले थे।
लेट चल रहा नर्सिंग का सेशन
6 से 8 माह नर्सिंग का लेट चल रहा सेशन नर्सिंग का सत्र पहले से ही लगभग 6 से 8 माह विलंब से चल रहा है। वही इस प्रकार नामांकन को लेकर विभागीय उदासीनता जिसका सीधा असर नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वाले विद्यार्थियों पर पड़ रहा है।
वहीं अब विद्यार्थियों को इंतजार है कि पूर्व के भांति ही संस्थाओं को सीधा नामांकन की अनुमति मिलती है या झारखंड स्टेट कंबाइंड परीक्षा के नोटिफिकेशन का इंतजार विद्यार्थियों को करना पड़ेगा।
जुलाई व अक्टूबर से शुरू होता है सेशन
नर्सिंग का सत्र जुलाई तथा अक्टूबर माह का होता आया है। यदि देखा जाए तो जुलाई सत्र के नामांकन प्रक्रिया का समय तो बीत ही चुका है। अब अक्टूबर माह में भी विद्यार्थियों को नामांकन की अनुमति मिल पाएगी या विभागीय के उदासीन रवैया पर किसी अन्य राज्य में जाकर अपनी नर्सिंग के क्षेत्र के करियर को तलाश करेंगे।
बिना सीएमएल रैंक के एडमिशन जेसीईसीईबी द्वारा
पिछले साल 90 प्रतिशत नर्सिंग कॉलेजों को एडमिशन के लिए सीटें अलॉटमेंट नहीं की गई। सीटें खाली रह गई थीं।
निजी नर्सिंग कॉलेजों के प्रबंधकों के अनुसार बच्चों के बिना संचालन मुश्किल हो गया था। इसलिए पहले की तरह बिना सीएमएल रैंक का एडमिशन ले लिया। अब रजिस्ट्रेशन और परीक्षा पर रोक लगी है।
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