Jharkhand :
हेमंत सोरेन सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई कई कदम उठा रही है। मंईयां सम्मान योजना के जरिये जहां जरूरतमंद महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपये की आर्थिक मदद की जा रही है, वहीं स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में पिछले 5 साल में कई काम किये गये हैं।
दिसंबर 2019 से स्वयं सहायता समूहों के क्रेडिट लिंकेज कार्य को गति दी गई है। अब तक 2.91 समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें वर्ष 2019 से अब तक 53,293 से ज्यादा समूह बने है, वहीं क्रेडिट लिंकेज में 14,204 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है, जो वर्ष 2019 दिसंबर से पूर्व 545.30 करोड़ रुपये था।
Jharkhand : 32 लाख परिवार आजीविका माध्यमों से जोड़े गयेः
स्वयं सहायता समूहों को बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज सुनिश्चित कराने की पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक हो रही है। इसके तहत एसएचजी सदस्यों को सरल शर्तों पर ऋण सुविधाएं प्रदान की गईं, और उनकी आजीविका गतिविधियों को मजबूती मिली। ग्रामीण महिलाएं और अर्थव्यवस्था सशक्त हो, इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए राज्य के 32 लाख परिवारों को आजीविका के सशक्त माध्यमों से जोड़ा गया है।
कृषि,पशुपालन, वनोपज, अंडा उत्पादन, जैविक खेती आधारित आजीविका से ग्रामीण परिवारों को लाभवान्वित किया जा रहा है। राज्य संपोषित झारखंड माइक्रोड्रिप इरिगेशन परियोजना के तहत करीब 31,861 किसानों को टपक सिंचाई तकनीक से जोड़ कर उन्नत खेती की जा रही है।
Jharkhand : तकनीक में निपुण हो रहीं महिलाएः
राज्य में बैंकिग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी, पशु सखी, कृषि सखी, वनोपज मित्र, आजीविका रेशम मित्र, सीआरपी समेत, करीब 85,000 सामुदायिक कैडर को प्रशिक्षित कर परियोजना के क्रियान्वयन एवं विस्तारण में लगाया है। आधुनिक संचार तकनीक से इन महिलाओं को लैस किया गया है।
चंद्रपुरा की प्रेमलता देवी को मिला क्रेडिट लिंकेज का सहाराः
प्रेमलता देवी जीवन ज्योति आजीविका सखी मंडल से जुड़कर आज अपने परिवार का भविष्य संवार रही है। पति के असमय मृत्यु से प्रेमलता पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा था। पति के जाने के दुःख के साथ ही परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी भी उनपर आ गयी। ऐसे मुश्किल समय में समूह का साथ मिला। प्रेमलता ने 50 हजार रुपये क्रेडिट लिंकेज (सीसीएल) के तहत ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीद सिलाई का कार्य शुरू किया।
मेहनत और अच्छे काम से प्रेमलता की आमदनी बढ़ने लगी और उन्होंने पुराने ऋण चुकाने के बाद सिलाई केंद्र खोलने के लिए ग्राम संगठन से तीस हज़ार रूपए ऋण लिया और काम को आगे बढाया। प्रेमलता कहती है, परिवार के भरण पोषण के बारे में सोचकर काफी चिंतित रहती थी, लेकिन समूह की महिलाओं के हौंसले से मुझे हिम्मत मिली और आज सिलाई कार्य से प्रति माह करीब दस हज़ार आमदनी कर परिवार चला रही हूं।
जामताड़ा की किरण झा बनीं सफल उद्यमीः
नाला प्रखंड की किरण झा राधा कृष्ण आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने समूह के जरिए पहले आरसेटी (RSETI) से आचार, पापड़ बनाने का प्रशिक्षण लिया और कैश क्रेडिट लिंकेज के तहत 50,000 रु ऋण से व्यवसाय शुरू किया।
आज, वह सालाना 1.2 लाख रु कमाती हैं और अन्य महिलाओं को भी जोड़ चुकी हैं। डीडीयूजीकेवाई से बेटे की ट्रेनिंग के बाद उसकी आय 3.6 लाख रु सालाना है। उनका परिवार अब खुशहाल है।
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