Jharkhand High Court:
रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने हजारीबाग और बोकारो में कोल परियोजनाओं के विस्थापितों को बिना मुआवजा हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने प्रार्थी को राहत दी है और अगले आदेश तक उन्हें घर खाली करने पर रोक लगा दी है। जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने NTPC और CCL दोनों से इस मामले में जवाब मांगा है। वहीं इस संबंध में वासुदेव साव सहित छह अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
जमीन अधिग्रहण कर नहीं दिया मुआवजाः
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों के वकील श्रेष्ठ गौतम और हिमांशु हर्ष ने पक्ष रखा। और बताया कि कोल बेयरिंग एरिया एक्ट के अनुसार 2009 प्रार्थियों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। लेकिन, उन्हें न तो मुआवजा मिला और न ही कंपनी ने जमीन पर कब्जा लिया। अब कंपनी उन्हें अचानक जमीन और घर खाली करने का नोटिस दे रही है।
2025 की दर पर मिले मुआवजाः
वकीलों ने दलील दी कि 2009 के हिसाब से मुआवजा देना सही नहीं है और उन्हें 2025 की कीमतों के अनुसार ही मुआवजा मिलना चाहिए। अदालत ने इस दलील पर सुनवाई को सुरक्षित रखते हुए अगले आदेश तक NTPC को विस्थापितों के घर न तोड़ने का निर्देश दिया है।
CCL ने 1984 में ली जमीन, पर अब तक मुआवजा नहीः
बोकारो में भी CCL ने रैयतों (जमीन मालिकों) को घर हटाने का नोटिस दिया था। वतन महतो के द्वारा इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। उनके वकीलों ने बताया कि CCL ने 1984 में ही जमीन का अधिग्रहण कर लिया था, लेकिन अब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। उन्होंने मांग की कि उन्हें वर्तमान समय के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। अदालत ने उनकी दलील स्वीकार कर ली है और CCL से जवाब मांगा है। वहीं अगले आदेश तक उनके घरों को हटाने पर रोक लगा दी है।
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