कैबिनेट सेक्रेट्री से लेकर पीएम के सलाहकार तक के पद पर हैं आसीन
रसायनिक हथियारों के देख-रेख का जिम्मा भी झारखंड कैडर के अफसर के पास
इस्पात, श्रम, स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्रालय का देख रहे काम
रांची। झारखंड कैडर के ब्यूरोक्रेट्स ब्यूरोक्रेसी के टॉप पायदान पर अपनी प्रतिभा लोहा मनवा रहे हैं।
राजीव गौबा कैबिनेट सेक्रेट्री के पद पर आसीन है। यह पद ब्यूरोक्रेसी का सर्वोच्च पद है। 1982 बैच के आईएएस राजीव गौबा ने इस पद को अपने आत्मविश्वास और विजन की बदौलत हासिल की।
वहीं झारखंड कैडर के रिटायर्ड आईएएस अमित खरे दूसरी बार प्रधानमंत्री के सलाहकार बनाये गये हैं। झारखंड कैडर के आईएएस अफसरों ने राज्य के नीतिगत निर्णयों में अपनी दक्षता का परिचय तो दे ही दिया है, लेकिन केंद्र में भी अपनी बेहतर दूरदर्शी विजन से कई नीतियों को अंजाम तक पहुंचाया है, जिसकी चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी हो रही है।
उनके ही विजन की बदौलत आम जन को कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। इससे झारखंड की ब्यूरोक्रेसी में एक गौरवशाली अध्याय जुड़ गया है।
धारा 370 हटाने के लिए तैयार किया था मसौदा
राजीव गौबा ने केंद्र में गृह सचिव रहते हुए आर्टिकल 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्निर्माण के फैसले के लिए मसौदा तैयार करने और इसे सफलतापूर्वक लागू करने में एक अहम भूमिका निभायी थी।
अपनी एक छोटी कोर टीम के साथ मिलकर उन्होने इस फैसले के संवैधानिक और कानूनी पहलुओं को अंतिम स्वरूप दिया।
उन्होंने इससे जुड़े प्रशासनिक एवं सुरक्षा व्यवस्था का ढांचा भी तैयार किया। राजीव गौबा झारखंड में मुख्य सचिव भी रह चुके हैं।
लेबर रिफॉर्म, मंत्रालयों व विभागों का पुनर्गठन, लेटरल इंट्री तथा इज ऑफ डुइंग बिजनेस में उनके द्वारा किये गये प्रयासों से ही झारखंड पहली बार देश में इज ऑफ डुइंग बिजनेस में तीसरा स्थान प्राप्त किया था।
नई शिक्षा नीति बनाने में निभायी अहम भूमिका
अमित खरे बिहार-झारखंड कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड आईएएस हैं। उन्हें पहली बार अक्टूबर 2021 में दो साल के लिए पीएम मोदी का एडवाइजर नियुक्त किया गया था। इसके बाद 2023 में फिर से उनके कार्यकाल का विस्तार किया गया था।
केंद्र में शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में ‘नई शिक्षा नीति’ बनाने में अमित खरे की अहम भूमिका रही है। उन्हें बिहार-झारखंड में बहुचर्चित 940 करोड़ के चारा घोटाले को उजागर करने वाले अफसर के रूप में सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
पीएम के सलाहकार के रूप में अब तक के करीब साढ़े तीन साल के कार्यकाल के पहले उनका भारतीय प्रशासनिक सेवा में 36 सालों का करियर बेहद शानदार रहा है।
जब वो चाईबासा के उपायुक्त के पद पर भेजे गये, तो उन्होंने डायन प्रथा की आड़ में महिलाओं की प्रताड़ना के खिलाफ एक बड़ा अभियान शुरू किया।
हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी ने भी उनके काम की सराहना की थी। मेधा घोटालों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले अमित खरे को ही बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पारदर्शी परीक्षा प्रणाली स्थापित करने का श्रेय जाता है।
एनएन सिन्हा और अलका तिवारी
सीएस रैंक के अफसर एनएन सिन्हा और अलका तिवारी भी केंद्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अलका तिवारी केंद्र में नेशनल कमिशन फॉर शिड्यूल ड्राइव में सचिव के पद पर तैनात है।
वहीं एनएन सिन्हा इस्पात मंत्रालय में सचिव के पद पर तैनात हैं। एमएस भाटिया नेशनल ऑथिरिटी ऑफ केमिकल वेपन के चेयर पर्सन के पद पर तैनात हैं। वहीं निधि खरे देश भर के उपभोक्ताओं का ख्याल रख रही हैं।
केंद्र में इन अफसरों के पास महत्वपूर्ण मंत्रालय
केंद्र में झारखंड कैडर के आईएएस अहम मंत्रालयों में अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। सुनील वर्णवाल उच्च शिक्षा मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेट्री के पद पर पदस्थापित हैं।
वहीं राहुल शर्मा कैबिनेट सेक्रेट्रेरियट में एडिशनल सेक्रेट्री, केके सोन श्रम मंत्रालय में संयुक्त सचिव, हिमानी पांडेय उद्योग व्यापार मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अराधना पटनायक स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थापित हैं।
कुल मिलाकर कहें, तो आज केंद्र की सरकार में झारखंड के अफसरों का बोलबाला है और केंद्र के निर्णयों में उनकी भूमिका गंभीर है।
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