Jharkhand BJP OBC strategy:
रांची। लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष के नाम की प्रतीक्षा कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को आदित्य साहू के तौर पर कार्यकारी अध्यक्ष मिल गया है।
हालांकि लंबे इंतजार के बाद पूर्णकालिक की जगह कार्यकारी अध्यक्ष मिलना थोड़ा अटपटा है, लेकिन दिन चढ़ते ही बधाइयों की लिस्ट इंटरनेट मीडिया से निकलकर प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंच गई।
विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू की जोड़ी को आदिवासी और ओबीसी समुदाय के बीच समीकरण साधने की कोशिश के तौर पर देखा जाने लगा।
इन सबके बीच यह सवाल भी कानाफूसी के तौर पर तैरता रहा कि सालभर पहले चुनावों के समय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए रवींद्र राय की भूमिका अब क्या होगी।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की चर्चा को फिलहाल कार्यकारी तौर पर ही सही, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने शांत करने की कोशिश की है।
बड़े नामों की दावेदारी के बीच आदित्य साहू पर भरोसाः
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछले आठ महीने से कई बड़े नाम सामने आते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा जैसे कई बड़े नाम इस सूची में बने हुए थे।
माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल आदित्य साहू को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर भविष्य का रास्ता खोल दिया है। बिहार चुनाव संपन्न होने के साथ ही आदित्य साहू को पूर्णकालिक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी जाएगी। आदित्य साहू तेली समुदाय से आते हैं और वे झारखंड के मूलवासी हैं।
ओबीसी मतदाताओं को साधने में लगी भाजपा को यह प्रोफाइल जंचा। इसके अलावा बगैर शोरगुल के काम करने की इनकी शैली भी पार्टी कार्यकर्ताओं से बेहतर समन्वय करने में कामयाब होगी, ऐसा पार्टी का मानना है।
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