Tuesday, June 24, 2025

Jharkhand: झारखंड से चुन-चुन कर निकाले जाएंगे बांग्लादेशी और रोहिंग्या [Bangladeshis and Rohingyas will be selectively expelled from Jharkhand]

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रांची। झारखंड में रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को चुन-चुन कर निकाला जाएगा। जल्द ही इसकी कवायद शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन सभी जिलों में किया जा रहा है। यही स्पेशल टास्क फोर्स बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को चिह्नित करेगी। इस बाबत केंद्र सरकार ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को पत्र भेजा है। इस पत्र में पूरा प्रोसिजर बताया गया है। केंद्र की ओर से सभी राज्य को यह पत्र भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि सरकारें अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशी और म्यांमार निवासियों को चिह्नित करें। इसके बाद इन्हें होल्डिंग सेंटर में रखें।

चिह्नित बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को होल्डिंग सेंटर पर रखने के लिए सभी जिले में ऐसा सेंटर बनाने को कहा है। केंद्र ने कहा है कि ऐसा करने के लिए जिलावार स्पेशल टास्क फोर्स बनाएं, ताकि इन्हें डिपोर्ट किया जा सके। होल्डिंग सेंटर में जांच-पड़ताल पूरी करने के बाद उन्हें बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स और कोस्ट गार्ड्स को सौंपा जाएगा। इसके बाद उन्हें संबंधित देश को सौंपा जाएगा। पत्र में कहा गया है कि अगर कोई बांग्लादेशी या रोहिंग्या भारतीय नागरिक होने का दावा करते हैं और वे बताते हैं कि संबंधित राज्य में वह रहते हैं, तो संबंधित राज्य सरकार, होम सेक्रटरी और जिला प्रमुख उसका नाम, माता-पिता, आवासीय पता, निकटतम रिश्तेदारों का विवरण उक्त राज्य में भेजेंगे।

इसके बाद संबंधित राज्य या जिला प्रमुख 30 दिनों के भीतर उक्त आदमी के दावे का सत्यापन कर सौंपेंगे। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार सभी जिले के प्रमुख को वेरिफिकेशन के लिए दिशा-निर्देश जारी करे। इसके बाद चिह्नित होने पर संबंधित व्यक्ति को उनके देश भेजने तक होल्डिंग सेंटर पर रखा जाएगा।

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बताते चलें कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। वहीं बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर झारखंड हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई चल रही है। झारखंड हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने कहा था कि संथाल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ की स्थिति अलार्मिंग है।

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वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने राष्ट्रीय जनगणना के हवाले से हाईकोर्ट के समक्ष जो डेटा पेश किया, उसके मुताबिक साल 1951 में संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी 44.67 प्रतिशत से घटकर साल 2011 में 28.11 प्रतिशत हो गई। इसके पीछे की एक बड़ी वजह बांग्लादेशी घुसपैठ है।

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