पटना, एजेंसियां। Monsoon Session: बिहार के शहरी निकायों में जनता द्वारा सीधे चुने गए नगर निगमों के मेयर-डिप्टी मेयर और नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों के मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद के खिलाफ अब पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा।
चुनाव के दो साल बाद उनके खिलाफ लाया जा सकने वाला संबंधित प्रावधान बिहार नगर पालिका अधिनियम से हटा दिया गया है।
बिहार विधानसभा ने बिहार नगर पालिका (संशोधन) विधेयक 2024 के जरिए इसे मंजूरी दे दी है। नगर विकास एवं आवास मंत्री नितिन नवीन ने सदन में इस विधेयक का प्रस्ताव रखा।
सरकार के निर्देश के विरुद्ध प्रस्ताव स्वीकृत नहीं होगा
संशोधित विधेयक में प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार के नियमों या निर्देशों के विरुद्ध किसी भी प्रस्ताव पर नगर पालिका की किसी भी बैठक में विचार नहीं किया जाएगा।
यदि ऐसा कोई प्रस्ताव नगर पालिका की बैठक में लाया जाता है तो उसे मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा राज्य सरकार के पास विचारार्थ भेजा जाएगा तथा इस संबंध में अंतिम निर्णय राज्य सरकार का होगा।
एक हफ्ते के अंदर बनेगी बैठकों की मिनट्स प्रोसिडिंग
नगर पालिकाओं और उसकी समितियों की बैठकों के बाद कार्यवाही के मिनट्स जारी करने में होने वाली देरी को देखते हुए भी अधिनियम में संशोधन किया गया है।
इसके तहत अब नगर पालिका और नगर समिति की हर बैठक की कार्यवाही के मिनट्स एक सप्ताह के भीतर जारी करना अनिवार्य होगा। इससे कई महत्वपूर्ण निर्णयों और विकास कार्यों के क्रियान्वयन में होने वाली अनावश्यक देरी को रोका जा सकेगा।
नगर पालिका स्तर पर नियम बनाने में होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए संशोधन अधिनियम में राज्य सरकार के स्तर पर नियम बनाने का प्रावधान किया गया है।
इसके साथ ही संपत्ति कर पर आपत्ति के खिलाफ जिला न्यायाधीश के समक्ष अपील करने के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है।
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