Bangladesh at gunpoint:
नई दिल्ली, एजेंसियां। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में बंगाली भाषा बोलने वाले मुस्लिमों की हिरासत को लेकर केंद्र सरकार और पुलिस प्रशासन की नीतियों पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के कई हिस्सों में बंगाली मुसलमानों को अवैध आप्रवासी करार देकर गिरफ्तार किया जा रहा है और बंदूक की नोंक पर उन्हें बांग्लादेश में वापस भेजा जा रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया पोस्ट
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा कि जिन लोगों को अवैध अप्रवासी घोषित किया जा रहा है, वे गरीब और कमजोर तबके के हैं, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, सफाईकर्मी, घरेलू कामगार और कूड़ा उठाने वाले शामिल हैं। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन की ये कार्रवाई अवैध है और केवल भाषा बोलने के आधार पर किसी को हिरासत में लेना गलत है।
23 जुलाई को पांच बांग्लादेशी महिलाओं
यह बयान पुणे पुलिस द्वारा 23 जुलाई को पांच बांग्लादेशी महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद आया है। ये महिलाएं बिना वैध दस्तावेजों के भारत में रह रही थीं और जांच में पता चला कि वे अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत आई थीं।ओवैसी ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के आदेश की तस्वीर भी शेयर की, जिसमें बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू करने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस को बिना वैध कारण के किसी को हिरासत में लेने का अधिकार नहीं है।
ओवैसी का यह बयान
ओवैसी का यह बयान केंद्र की मोदी सरकार पर मानवाधिकार उल्लंघन और कमजोर समुदायों के साथ दुर्व्यवहार के आरोपों को फिर से ताजा करता है। उन्होंने प्रशासन से ऐसे अत्याचार बंद करने और न्याय सुनिश्चित करने की मांग की है।
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