Banke Bihari Case:
नई दिल्ली, एजेंसियां। वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और मंदिर क्षेत्र के विकास को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मंदिर मैनेजमेंट कमेटी से तीखे सवाल करते हुए पूछा ,“भगवान सबके हैं, आप क्यों चाहते हैं कि सारा फंड आपकी पॉकेट में ही जाए?”
क्या है मामला?
बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार के 15 मई के उस आदेश का विरोध किया है जिसमें राज्य को मंदिर के फंड का उपयोग कॉरिडोर निर्माण के लिए करने की अनुमति दी गई थी। मंदिर समिति का कहना है कि यह मंदिर एक निजी संस्था है और सरकार ने बिना अधिकार इसमें हस्तक्षेप किया।
सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल
जस्टिस सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की बेंच ने साफ शब्दों में कहा –“मंदिर निजी हो सकता है, लेकिन भगवान सबके हैं। वहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। उनके लिए सुविधाएं जरूरी हैं। अगर श्रद्धालुओं के फंड से विकास होता है, तो क्या आप इसका विरोध करेंगे?”सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए थी।
15 मई के आदेश पर पुनर्विचार संभव
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्हें सुने बिना सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पारित कर दिया, जबकि मामला पूरी तरह अलग था। उन्होंने तर्क दिया कि विकास कार्यों की जिम्मेदारी सरकार की है, मंदिर के फंड का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि 15 मई का आदेश वापस लिया जा सकता है।
प्रबंधन के लिए नई समिति का संकेत
सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के बेहतर प्रबंधन के लिए सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में नई कमेटी बनाने की बात कही है। इसमें जिलाधिकारी और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा, जिससे ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण और क्षेत्र के समुचित विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 5 अगस्त को सुबह 10:30 बजे होगी।
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