नई दिल्ली, एजेंसियां। थायराइड ग्रंथियां जब पर्याप्त हॉर्मोन उत्सर्जित नहीं करती हैं तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं।
इससे मेटाबॉलिज्म धीमा होता है, जिससे सेहत से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। इसे मैनेज करने के लिए अक्सर दवाइयां लेनी पड़ती हैं, लेकिन कुछ ऐसे फूड हैं, जिन्हें डाइट से कम कर दें, तो इस समस्या में कमी आ सकती है।
इसके अलावा संतुलित भोजन, नियमित एक्सरसाइज के साथ यदि खुद को हाइड्रेट रखें तो इसे अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं।
सोयाबीन के प्रोडक्ट कम खायें
सोयाबीन और उसके प्रोडक्ट जैसे कि टोफू, सोया चाप, सोया मिल्क, सोया सॉस आदि का सेवन थायराइड के लिए दी जाने वाली दवाइयों के असर को कम करता है।
सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस नामक तत्व पाए जाते हैं, जो थायराइड ग्रंथि को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि कभी-कभार खा सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि बचें। खासकर जब थायराइड की दवा ले रहे हों।
गोभी, ब्रोकली हैं क्रूसीफेरस सब्जियां कम और पका कर ही खायें
ब्रोकली, फूलगोभी और पत्ता गोभी जैसी सब्जियों में गोइट्रोजन नामक तत्व होता है, जो थायराइड के उत्पादन को प्रभावित करता है।
यदि इन सब्जियों को कच्चा खाया जाए तो हाइपोथॉयराडिज्म की समस्या और बढ़ सकती है। गोइट्रोजन आयोडिन को अवशोषित करने की क्षमता भी कम करता है जो कि थायराइड के उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है।
हालांकि उन्हें पकाकर खाने से गोइट्रोजन का प्रभाव कम होता है। ऐसे में मॉडरेट एवं पकाकर खाना बेहतर है।
गेहूं, जौ और राई में है ग्लूटेन, कम खायें
गेहूं, जौ और राई में ग्लूटेन नामक प्रोटीन होता है। हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित कुछ लोगों को इससे समस्या होती है। खासकर जिन्हें हाशिमोटो थायरायडिटिस होता है।
यह हाइपोथायराइडिज्म का एक ऑटोइम्यून प्रकार है। दरअसल ग्लूटेन इंफ्लेमेशन बढ़ा सकता है।
इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है, जिससे थायराइड की समस्याएं बढ़ सकती हैं। भोजन से ग्लूटेन वाले फूड घटाने से कई लोगों को हाइपोथायरायडिज्म में फायदा मिलता है।
प्रोसेस्ड फूड से थॉयराइड असंतुलित होता है
प्रोसेस्ड फूड में नुकसानदायक फैट, शुगर और एडिटिव्स काफी होते हैं, जो वजन और इंफ्लेमेशन बढ़ा सकते हैं।
हाइपोथॉयरायडिज्म में वजन नियंत्रित करना काफी कठिन होता है, क्योंकि मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।
वहीं प्रोसेस्ड फूड में सोडियम अधिक होता है, जो थायराइड के संतुलन को बिगाड़ सकता है। ऐसे में साबुत अनाज और अनप्रोसेस्ड फूड का सेवन ओवरऑल सेहत को बेहतर कर सकता है।
कॉफी से सेवन से दवा का प्रभाव घटता है
कॉफी थॉयराइड की दवाइयों के प्रभाव को कम करती है। ऐसे में कॉफी पीने के आधे से एक घंटे के बाद ही दवा लें।
इसके अलावा कैफीन एड्रिनल ग्रंथि को अधिक सक्रिय कर सकता है, जिससे थकान बढ़ती है। यह हाइपोथायरायडिज्म का सामान्य लक्षण है।
दिन भर में ली जाने वाली कैफीन की मात्रा भी सीमित करें। इससे थायराइड ग्रंथि की सेहत को भी नुकसान हो सकता है।
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