PESA Act:
रांची। झारखंड में पेसा एक्ट का मामला उलझता दिख रहा है। इसे लेकर बन रही नियमावली में कई पेंच फंसे हैं, जिनकी वजह से यह मामला उलझता ही जा रहा है। यदि पेसा कानून नियमावली में कांग्रेस के सुझावों को अमल में लाया गया, राज्य सरकार को सालाना 400 करोड़ रुपये अतिरिक्त की जरूरत पड़ेगी।
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के राजू के सुझाव से सरकार के माथे पर बल पड़ गये हैं। के राजू ने पार्टी की ओर से दिए लिखित सुझाव में राज्य के प्रत्येक ग्राम सभा को प्रति वर्ष 2-2 लाख रुपए देने का प्रावधान का सुझाव दिया है। राज्य में 4423 अधिसूचित ग्राम पंचायत और लगभग 32620 राजस्व ग्राम हैं। इस लिहाज से राज्य में लगभग 20-22 हजार ग्राम सभा सृजित होने का अनुमान है। कांग्रेस के ही एक विधायक के अनुसार 20-22 हजार ग्राम सभाओं के लिए दो-दो लाख रुपए देने का प्रावधान किया जाएस तो यह राशि 400 करोड़ हो जाती है। मंईयां सम्मान, बिजली बिल माफी, कृषि ऋण माफी जैसे अन्य योजनाओं को जारी रखते हुए इतनी बड़ी राशि का नियमित प्रावधान करना मुश्किल हो रहा है।
विभाग भी नहीं दे रहे नियमावली पर अपना मंतव्यः
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट में पेसा नियमावली गठन को लेकर दायर जनहित याचिका पर नौ सितंबर को अगली सुनवाई है। इस दिन हाईकोर्ट द्वारा कड़ा रुख अपनाए जाने की संभावना है। लेकिन नियमावली को अंतिम रूप देने में कई ऐसे विभाग हैं, जो सहयोग नहीं कर रहे। मसलन स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता, पर्यटन, ग्रामीण विकास जैसे विभागों ने नियमावली पर अपना मंतव्य दे दिया है। लेकिन खान व भूतत्व, उद्योग, कृषि, वन पर्यावरण, उत्पाद, पेयजल एवं स्वच्छता, जल संसाधन, गृह कारा, महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग में फाइल ऊपर नीचे हो रही है, जबकि पेसा कानून व इसकी नियमावली से प्रभावित होनेवाले कुल 17 विभागों का उसमें सुझाव और मंतव्य को शामिल करना जरूरी है।
कोरम की शर्त पर भी कांग्रेस का दबावः
जानकारी के अनुसार कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश प्रभारी सरकार पर लगातार पेसा नियमावली की शर्तें मजबूत और कठोर बनाने का दबाव बना रहे हैं। इनमें एक शर्त कोरम को लेकर भी है। केंद्र सरकार द्वारा तैयार मॉडल नियमावली और देश के अन्य आठ राज्यों द्वारा बनायी गयी नियमावली में ग्राम सभा की बैठकों के कोरम के लिए एक तिहाई सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य की गयी है। लेकिन कांग्रेस कोरम के लिए आधे सदस्यों की उपस्थिति को अनिवार्य कराना चाहती है।
पेंच और परेशानी कई और भी हैः
जानकारी के अनुसार 17 विभागों से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए हर विभाग द्वारा अपना अपना एक एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। समय समय पर इन नोडल अधिकारियों की बैठक भी हो रही है। एक नोडल अधिकारी ने बताया कि नियमावली बनने के बाद भी कई तरह की प्रक्रियाओं का पालन करना बाकी है। मसलन ग्राम सभाओं का चयन और उसे अधिसूचित करने का प्रावधान है। इसके लिए संबंधित जिलों के डीसी को अधिकृत किया जाएगा। डीसी ग्राम सभा के गठन पर आपत्तियों की मांग करेंगे। फिर आपत्तियों का निबटारा करते हुए किस पंचायत में कितनी ग्राम सभा होगी और उसका दायरा क्या होगा, इसको सुनिश्चित करेंगे। अधिसूचित करेंगे।
झारखंड और उड़ीसा ने अब तक नहीं बनायी नियमावलीः
देश के दस राज्यों में संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत पेसा कानून लागू किया गया है। इस कानून के तहत नियमावली का गठन किया जाना है। लेकिन, दस राज्यों में अब तक केवल झारखंड और उड़ीसा ने पेसा नियमावली का गठन नहीं किया है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान समेत अन्य आठ राज्यों ने नियमावली का गठन कर चुका है।
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