विवेकानंद कुशवाहा
रोहिणी आचार्य लालू यादव की पुत्री हैं। उन्होंने पिता को किडनी दान कर बेटी होने का फर्ज निभाया है। जो उन्हें एक आदर्श बेटी बनाता है, लेकिन मैं देख रहा हूं कि मीडिया में यह चर्चा बड़ी जोर है कि रोहिणी जी सारण से राजद उम्मीदवार हो सकती हैं।
हो सकता है कि रोहिणी वहां से जीत भी जाएं, लेकिन राजद को भविष्य में नुकसान ही होगा।
मेरे हिसाब से राजद को ऐसा करने से बचना चाहिए। रोहिणी जी बेहद भावुक महिला हैं, यह उनके ट्वीट्स से स्वत: पता चलता है।
जब उनके एक भाई को बिहार में ही नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर एकनॉलेज किया जा रहा है। विपक्षी भी उनके भाषणों की तारीफ कर दे रहे हैं, ऐसे में राजद का यह निर्णय समझ से परे होगा।
वैसे मैं बीते लंबे समय से राजद की कुछ चीजों का आलोचक रहा हूं, इसलिए आप चाहें तो बात न भी मानें, पर…
यहां हृदेश भाई के पोस्ट के हिस्से व उनके तर्कों को जरूर पढ़ें।
लालू प्रसाद यादव : राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजद
राबड़ी देवी : एमएलसी, राजद सह नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद
मीसा भारती : राज्यसभा सांसद, राजद
तेजप्रताप यादव : विधायक, राजद (पूर्व मंत्री)
तेजस्वी यादव : विधायक, राजद (पूर्व उप मुख्यमन्त्री सह पार्टी नेता)
अब ऐसे में लालू जी के परिवार से एक और सदस्य की राजनीति में एंट्री नरेंद्र मोदी के हाथों को ही मजबूत करेगी और आपके कार्यकर्ताओं के तर्कों को कमजोर।
यह न तो A टू Z के समीकरण में फिट बैठेगा और न ही MY BAAP में। सबकुछ परिवार में ही बांटें रखना है तो सीएम बनने का सपना भूल ही जाइए।
परिवार के लोगों को तो चाहिए कि तेजस्वी यादव की राहों में फूल बनें, न कि कांटे।
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