कोरोना महामारी के 5 साल बाद चीन में फिर एक नई बीमारी सामने आई है। इसके वायरस का नाम है- HMPV। भारत में कोरोना जैसे HMPV वायरस के अब तक कुल 9 मामले सामने आए हैं। आइए जानते हैं कि क्या HMPV कोरोना जितना जानलेवा है। इसका इलाज कैसे होगा। क्या फिर से लॉकडाउन लगेगा आदि..आदि.. ?
HMPV वायरस क्या है और कोरोना से कितना अलग है ?
HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस इंफेक्शन और सांस से जुड़ा वायरस है। इसमें मरीजों को खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ और नाक बहने जैसी समस्याएं होती हैं।
HMPV एक RNA वायरस है, जो आमतौर पर सर्दी जैसे लक्षण पैदा करता है। इसका जोखिम ठंड के मौसम में ज्यादा होता है। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, ये वायरस न्यूमोविरिडे वायरस फैमिली से जुड़ा है, जिसमें रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) भी शामिल है।
बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैः
रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) से फेफड़ों और सांस नली में इंफेक्शन होता है। ये इतना आम है कि 2 साल तक की उम्र के ज्यादातर बच्चे इस वायरस से प्रभावित हो जाते हैं।
कोरोना यानी कोविड-19 महामारी के लिए SARS-CoV-2 वायरस जिम्मेदार था, जो कोरोनाविरिडे वायरस फैमिली से जुड़ा है। HMPV और कोरोना अलग-अलग वायरल फैमिली से आते हैं, लेकिन COVID-19 और HMPV के लक्षण भी लगभग समान हैं।
ये हैं इसके खास लक्षणः
HMPV से जुड़े आम लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं जो COVID-19 में भी हो रहे थे।
अमेरिकी CDC के मुताबिक, कोविड-19 पर टेंप्रेचर का इफेक्ट होने की वजह से सीजनल था, लेकिन एमपीवी पर टेंप्रेचर का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, जिसके चलते अलग-अलग मौसम में फैल रहा है। अमेरिका में सर्दी से लेकर बसंत के मौसम में इसके केस पीक पर पर होते हैं।
चीन में तेजी से फैल रहा संक्रमणः
सोशल मीडिया पर चीन के कई वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि ये भीड़ HMPV वायरस से संक्रमित लोगों की है। भारत में भी इसी वायरस के 9 केस मिले हैं।
कोरोना की तरह ही फैलता है HMPV वायरसः
HMPV वायरस का ट्रांसमिशन रेट यानी फैलने की दर कोरोना वायरस की तुलना में कम है।
लेकिन इसके फैलने का तरीका लगभग एक जैसा ह, जो इस प्रकार हैः
ड्रॉपलेट्स:
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो हवा में कुछ बूंदें फैलती हैं।
डायरेक्ट कॉन्टैक्ट:
संक्रमित व्यक्ति के साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट यानी सीधे या शारीरिक संपर्क से फैल सकता है। खासकर अगर कोई उनके चेहरे, आंख या मुंह को छूता है।
चीजों की सतह:
ये वायरस चीजों की सतहों पर बना रह सकता है। दरवाजे के हैंडल या मोबाइल जैसी दूषित चीजों को छूने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हवा में मौजूदगी:
वायरस के छोटे-छोटे पार्टिकल्स हवा में रह सकते हैं, खासकर भीड़भाड़ वाले या खराब हवा वाली जगहों में।
मौत का कितना खतराः
चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के मुताबिक, HMPV वायरस से गंभीर मेडिकल कंडीशन वाले और ज्यादा सेंसिटिव लोगों की मौत हो सकती है।
किन लोगों पर सबसे ज्यादा असरः
इसका सबसे ज्यादा असर 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को होगा, खासकर समय से पहले जन्मे बच्चे यानी प्री-मैच्योर चाइल्ड में। साथ ही जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है या जिन्हें अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी बीमारी है।
सांस से जुड़ा वायरसः
HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस इंफेक्शन और सांस से जुड़ा वायरस है। इसकी जांच भी कोविड की तरह नाक में कॉटन बट्स डालकर की जाती है।
HMPV वायरस की जांच कैसे और कब कराये ?
लक्षण दिखने पर HMPV वायरस की जांच कराई जा सकती है। इसी जांच भी कोरोना वायरस जैसी ही सरकारी अस्पतालों या प्राइवेट लैब में कराई जा सकती है।
सैंपल लेने के तरीके के तरीकेः
• नासॉफैरिंजियल स्वैब : नाक में कॉटन बड्स डालकर सैंपल लेना।
• थ्रोट स्वैब : गले में कॉटन बड्स डालना।
• ब्लड सैंपल: कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है।
• बलगम: यदि मरीज को बलगम हो रहा हो, तो उसे भी जांच के लिए भेजा जा सकता है।
टेस्ट के तरीकेः
RT-PCR:
रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन HMPV का पता लगाने का सबसे सटीक तरीका है।
कल्चर टेस्ट:
वायरस को सेल कल्चर में विकसित कर पहचानते हैं। इसमें तीन या ज्यादा दिन भी लग सकते हैं।
एंटीबॉडी टेस्ट:
खून में एंटीबॉडी की मौजूगी से वायरस का पता लगाया जाता है। यह तरीका कम भरोसेमंद है।
कोरोना जैसे उपायों से ही बचावः
HMPV वायरस से बचने के लिए कोरोना जैसे उपाय ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जैसे मास्क, सेनिटाइजेशन, भीड़ से अलग रहना आदि।
इससे बचने के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीः
एचएमपीवी वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं है। न ही कोई विशिष्ट एंटीवायरल थेरेपी है।
एंटीबायोटिक्स दवाइयां काम नहीं करतीः
एंटीबायोटिक्स दवाइयां HMPV वायरस पर काम नहीं करती हैं। एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया का इलाज करते हैं, जबकि HMPV एक वायरस है।
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