Hemant Soren:
रांची। झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी JMM ने बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए रणनीतिक तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए बिहार में संगठनात्मक ढ़ांचे को दुरुस्त किया जा रहा है। शीर्ष नेतृत्व वहां सक्रिय नेताओं के साथ मंत्रणा करेगा। राजद गठबंधन के साथ तालमेल की कवायद होगी।
बिहार में भाकपा माले समेत अन्य वामदल झारखंड मुक्ति मोर्चा से सहानुभूति रखते हैं। इसकी वजह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बढ़ता असर है। झामुमो झारखंड से सटे बिहार की 12 विधानसभा सीटों पर दावेदारी करने जा रहा है। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि तालमेल के तहत सीटों का बंटवारा आसानी से हो जाएगा। अगर यह संभव नहीं हो पाया तो आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में पार्टी के प्रमुख नेताओं ने बैठक कर चुनावी योजना पर मंथन किया है। झामुमो का दावा है कि इन क्षेत्रों में उसकी मजबूत पकड़ है और पार्टी वहां गठबंधन के तहत सीटों की दावेदारी करेगी।
Hemant Soren: अपने बूते भी लड़ने को तैयारः
झामुमो के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, यदि राजद के साथ तालमेल नहीं होता है तो झामुमो अपने बूते भी इन सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है।
झामुमो नेता ने कहा कि हमारा संघर्ष और हमारी विचारधारा वामदलों के साथ मेल खाती है। यदि गठबंधन होता है, तो हमारी कोशिश होगी कि वामदलों के साथ भी सीटों के तालमेल पर चर्चा हो।
Hemant Soren: इन सीटों पर झामुमो कर रहा दावाः
झामुमो पहले से ही बिहार की इन 16 विधानसभा सीटों पर दावा ठोक रही है। इनमें कटोरिया, चकाई, ठाकुरगंज, कोचाधामन, रानीगंज, बनमनखी, धमदाहा, रुपौली, प्राणपुर, छातापुर, सोनवर्षा, झाझा, रामनगर, जमालपुर, तारापुर और मनिहारी सीटें शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से 12 सीटों की ही सूची महागठबंधन को भेजी जायेगी। ये सभी सीटें बिहार की सीमावर्ती जिलों में स्थित हैं।
Hemant Soren: बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में जेएमएम का प्रभावः
बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में झारखंड मुक्ति मोर्चा का सामाजिक आधार मजबूत है। इन इलाकों में झारखंडी संस्कृति, भाषा और आदिवासी अस्मिता का प्रभाव देखा जाता है।
झामुमो की रणनीति है कि वह इन भावनाओं को चुनावी मुद्दा बनाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में कर सके। झामुमो के मिशन बिहार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की छवि को खासतौर पर भुनाया जाएगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, सोरेन की जनसभाएं उन इलाकों में आयोजित की जाएंगी, जहां झारखंड के कार्यक्रमों और योजनाओं का प्रभाव देखा गया है। बिहार चुनाव को लेकर झामुमो की सक्रियता यह संकेत देती है कि पार्टी झारखंड से बाहर अपने जनाधार को मजबूत करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में झामुमो और राजद के बीच सीटों के तालमेल को लेकर क्या रणनीति बनती है?
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