Infertility increasing Men:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत में पुरुष इनफर्टिलिटी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और कुल बांझपन मामलों में 40% जिम्मेदारी पुरुषों में पाई जा रही है। आम धारणा रही है कि इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या है, लेकिन मेडिकल आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों में भी बांझपन के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। 2022 की एक वर्ल्ड मेटा-एनालिसिस के अनुसार, 1973 से 2018 के बीच पुरुषों के स्पर्म कंसंट्रेशन में 51.6% की गिरावट देखी गई है। WHO ने भी नॉर्मल स्पर्म काउंट की निचली सीमा को 40 मिलियन से घटाकर 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर कर दिया है।
पुरुषों में इनफर्टिलिटी क्यों बढ़ रही है?
- स्पर्म काउंट, मोटिलिटी और मॉर्फोलॉजी में कमी
- देर से पितृत्व, तनाव, अनियमित जीवनशैली
- स्मोकिंग, अल्कोहल और खराब खान-पान
- लंबे कार्य घंटे और नींद की कमी
- एयर पॉल्यूशन, माइक्रोप्लास्टिक्स और केमिकल एक्सपोजर
- BPA, पेस्टिसाइड्स और फ्थैलेट्स जैसे केमिकल टेस्टोस्टेरोन घटाते हैं
- PM2.5 और हेवी मेटल्स स्पर्म डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं
AIIMS की स्टडी में ऐजूस्पर्मिया और OATS सिंड्रोम पुरुष बांझपन के प्रमुख कारण पाए गए हैं।
कब करवाएं जांच?
यदि एक साल तक प्रयास करने के बाद भी प्रेग्नेंसी नहीं हो रही, तो पुरुषों को भी टेस्ट कराना चाहिए। डॉक्टर्स 2–3 दिन के अंतर से तीन सीमन टेस्ट रिपोर्ट करवाने की सलाह देते हैं।
इलाज क्या है?
रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में ब्लॉकेज होने पर सर्जरी से इलाज संभव है। वहीं, कई मामलों में IUI, IVF या ICSI जैसी तकनीकें सिर्फ एक स्वस्थ स्पर्म के सहारे भी पिता बनने में मदद कर सकती हैं।



