Cancer :
भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक नई चिंता सामने आई है ,सर्वाइकल कैंसर का तेजी से बढ़ता खतरा, जो अक्सर ‘साइलेंट किलर’ की तरह काम करता है। यह कैंसर चुपचाप महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है और शुरुआती लक्षणों के स्पष्ट न होने की वजह से समय पर पहचान और इलाज में देरी हो रही है।
Cancer : भारत में हर साल 1.27 लाख से ज्यादा मामले
शोधों के अनुसार, भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1.27 लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं, और इनमें से एक बड़ी संख्या युवा महिलाओं की होती है। ग्लोबोकॉन के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, इस कैंसर से हर साल लगभग 77,000 महिलाओं की मौत हो जाती है।
Cancer : 20 से 30 की उम्र में भी दिख रहे मामले
30 से 45 वर्ष की आयु की महिलाओं में यह कैंसर पहले ही चिंता का कारण रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में 20 से 30 वर्ष की युवतियों में भी इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। यह बदलाव विशेषज्ञों के अनुसार, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण, समय पर स्क्रीनिंग की कमी, टीकाकरण की कम पहुंच और असुरक्षित यौन व्यवहार से जुड़ा हुआ है।
Cancer : सर्वाइकल कैंसर क्यों है खतरनाक?
यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होता है। अधिकतर मामलों में इसके पीछे एचपीवी संक्रमण प्रमुख कारण होता है, जो यौन संपर्क से फैलता है। यह बीमारी शुरुआती चरणों में कोई खास लक्षण नहीं देती, जिससे इसका निदान देर से होता है और जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
Cancer : किन महिलाओं को ज्यादा खतरा?
डॉक्टरों का मानना है कि निम्नलिखित स्थितियों में महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है:
1 .कम उम्र में यौन सक्रियता शुरू करना
- एक से अधिक यौन साथी होना
- कमजोर इम्यून सिस्टम
- लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
- नियमित जांच और टीकाकरण न कराना
शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें-
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि निम्नलिखित लक्षण लगातार बने रहें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:
- अनियमित माहवारी या दो पीरियड्स के बीच रक्तस्राव
- यौन संबंधों के बाद रक्तस्राव
- पेल्विक हिस्से में दर्द
- असामान्य या दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज
Cancer : रोकथाम और बचाव है संभव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर को समय पर टीकाकरण, नियमित स्क्रीनिंग और शुरुआती इलाज से रोका जा सकता है। भारत में एचपीवी वैक्सीन अब कई जगहों पर उपलब्ध है, जिसे किशोरियों को दिया जाना चाहिए। साथ ही, महिलाओं को सालाना पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए।
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