नयी दिल्ली : कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों, युवाओं तथा महिलाओं की स्थिति को लेकर मंगलवार को लोकसभा में सरकार पर प्रहार किया और आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था तथा आम लोगों को प्रभावित करने वाले संकट के समाधान को लेकर केंद्रीय अंतरिम बजट में कुछ नहीं बताया गया।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ‘वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम केंद्रीय बजट, लेखनुदानों की मांगों, अनुदानों की अनुपूरक मांगों, जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र अंतरिम बजट, जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के लिए लेखानुदानों की मांगों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों’ पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाया और कहा कि इस सरकार के पास सिर्फ कथनी है, करनी नहीं है।
अंतरिम केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरुआत के समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सदन में मौजूद नहीं रहने पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई जिस पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि देश में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पार्टी को सदन के नियम के बारे में नहीं पता।
उस समय सदन में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी मौजूद थे। थरूर के संबोधन शुरू करने के कुछ मिनटों के भीतर ही सीतारमण सदन में आ गईं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर का कहना था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में युवा, महिला, गरीब और किसान के रूप में चार ‘जातियों’ की बात की है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस सरकार में इन्हीं चार वर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी है।
उन्होंने दावा किया कि पिछले 10 साल में लोगों के साथ विश्वासघात हुआ है, जबकि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे और लोक-लुभावन बातें करके सत्ता में आई थी।
थरूर ने सवाल किया, ‘‘आखिर किसका साथ, किसका विकास?’’ उनके मुताबिक, नोटबंदी के फैसले के बाद लोगों को लंबी कतारों में लगना पड़ा और कई लोगों की मौत हो गई, जबकि सरकार के पूंजीपति मित्रों ने बैंकों से ही नोट बदलवा लिए।
थरूर ने कहा, ‘‘नोटबंदी गलत विचार था, वहीं जीएसटी एक अच्छा विचार था, लेकिन इसे गलत तरीके से लागू किया गया…जीएसटी को गलत तरीके से लागू किए जाने के कारण छोटे उद्यमों पर बड़ी मार पड़ी और बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।’’
थरूर ने बेरोजगारी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आज युवा रोजगार की तलाश में अपनी जान जोखिम में डालकर इजराइल जाने को तैयार हैं।’’ उनका कहना था कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियां कम हो गई हैं तथा देश के अधिकतर घरों की आमदनी या तो स्थिर हो हो गई है या फिर घट गई है।
तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने दावा किया कि ‘स्किल इंडिया’ पूरी तरफ विफल रहा है। उनके अनुसार, स्टार्टअप में निवेश भी लगातार घट रहा है।
थरूर ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद कृषि क्षेत्र में मानदेय में 8 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी थी, लेकिन राजग सरकार में यह बहुत घट गया…यह ग्रामीण भारत की स्थिति है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का दावा है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया। अगर ऐसा है तो 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की जरूरत क्यों पड़ रही है?’’
थरूर का कहना था कि संप्रग सरकार के समय सबसे तेजी से गरीबी कम हुई थी जब 2005 से 2015 के दौरान 27 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले थे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्त मत्री ने महंगाई को मामूली बताया है, लेकिन उन्हें अहसास नहीं है कि लोगों को महंगाई के कारण कितनी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
थरूर ने कहा, ‘‘इस सरकार ने देश का बहुत बड़ा नुकसान किया है कि अब आंकड़ों पर भरोसा नहीं रहा, जबकि पहले भारत के आंकड़ों की वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता थी।’’
उन्होंने अनाज, सब्जी और दूध के दाम में बढ़ोतरी का उल्लेख किया और दावा किया कि खुदरा महंगाई दर 15 महीनों में सबसे उच्चतम स्तर पर है।
उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 74.1 प्रतिशत आबादी पोषक आहार की व्यवस्था नहीं कर सकती। उनके मुताबिक, विदेश मंत्री ने बताया कि 16 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों ने भारत छोड़ दिया।
थरूर ने आरोप लगाया कि इस सरकार के ‘टैक्स टेररिज्म’ के कारण अमीर भारतीय देश छोड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘उज्ज्वला’ योजना के तहत अधिकर लोगों ने सिलेंडर नहीं भरवाए और पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत पंजीकृत किसानों की संख्या घट गई।
थरूर ने दावा किया कि भाजपा की सरकार के शासनकाल में देश में रोजाना औसतन 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने जंतर-मंतर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के धरने का उल्लेख करते हुए कहा कि आज राज्यों की स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि केंद्र की तरफ से धन का आवंटन नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी मोर्चों पर विफल है जहां वह अपनी पीठ थपथपाती है। थरूर ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था और आम आदमी को प्रभावित करने वाले संकट के समाधान के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया है।
आने वाला चुनाव दूसरे दलों को मौका देगा कि वे सरकार को उसकी बयानबाजी को लेकर आईना दिखाएं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के पास सिर्फ कथनी है, करनी नहीं है।
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