नामकुम (रांची)। झारखंड की सोना उगलने वाली नदी के नाम से मशहूर स्वर्णरेखा नदी अब पूरी तरह मैली हो गई। पूरी तरह नाले में तब्दील हो गई है।
आसपास के क्षेत्रों और कल-कारखाने का कचरा नदी में गिर रहा है। इससे पानी के बजाय चारों ओर झाग और कचरा फैला है। इससे उठने वाली दुर्गंध की वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल है।
कभी स्वर्णरेखा नदी का महत्व ऐसा था कि सावन माह में पहाड़ी मंदिर पर स्थापित शिवलिंग पर इसी नदी का जल चढ़ता था।
भक्त स्वर्णरेखा के चुटिया, नामकुम घाट से जल उठाकर पैदल चलते हुए पहाड़ी मंदिर तक पहुंचते थे और बाबा भोले का अभिषेक करते थे। अब नदी की दुर्दशा ऐसी है कि जलाभिषेक तो दूर, श्रद्धालुओं का स्नान करना भी मुश्किल हो गया है।
सोमवार को सावन की शुरुआत हुई। शिवभक्तों को स्वर्णरेखा की दुर्दशा से निराश न होना पड़े, इसलिए नगर निगम और स्टेन रोज क्लब की ओर से 10 टैंकर की व्यवस्था की गई थी।
पानी से भरे इन टैंकरों को नदी के तट पर लगाया गया। शिवभक्त टैंकर के पानी से स्नान करके इसी जल को पहाड़ी मंदिर लेकर जाएंगे। टैंकर में बोरवेल का पानी भरा गया है।
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