नई दिल्ली, एजेंसियां। एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ) ने खाद्य व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को सख्त चेतावनी दी है कि किसी भी हालत में फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल न किया जाये ।
एफएसएसएआई ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा विभागों को सतर्क रहने और इस आदेश का पालन नहीं करने वालों से एफएसएस अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार सख्ती से निपटने का आदेश दिया है।
एफएसएसएआई ने कहा कि व्यापारियों/फल संचालकों/फूड बिजनेस आपरेटरों (एफबीओ) को अलर्ट किया गया है कि फलों को कृत्रिम तरीके से पकाने विशेष रूप से आम के मौसम के दौरान खतरनाक कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल न करने के निर्देश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा, अगर नहीं किया तो कार्रवाई किया जाएगा।
कैल्शियम कार्बाइड से स्वास्थ्य पर पड़ता है गंभीर दुष्प्रभाव
एफएसएसएआई ने कहा कि कैल्शियम कार्बाइड को आम तौर पर मसाला के नाम से भी जाना जाता है।
इसके इस्तेमाल से चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर आदि जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आशंका रहती है कि कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल के दौरान यह फलों पर आर्सेनिक और फास्फोरस के अवशेष उत्सर्जित करे।
इन खतरों के कारण, खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) कानून के तहत फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड के बड़े पैमाने पर उपयोग के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, एफएसएसएआई ने भारत में फलों को पकाने के लिए सुरक्षित विकल्प के रूप में एथिलीन गैस के उपयोग की अनुमति दी है।
एथिलीन क्या है ?
एथिलीन फलों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हार्मोन है, जो रासायनिक और जैव रासायनिक गतिविधियों के जरिये फलों के पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
कच्चे फलों पर एथिलीन गैस के उपयोग से प्राकृतिक रूप से पकने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जब तक कि फल स्वयं पर्याप्त मात्रा में एथिलीन का उत्पादन शुरू नहीं कर देता।
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