Eye twitching:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अक्सर आंखों का फड़कना अपशगुन या शगुन माना जाता है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान इसे “मायोकिमिया” कहता है। इसमें पलकों की मांसपेशियों में अनियंत्रित सिकुड़न होती है। यह सामान्यतः थोड़े समय के लिए होता है, लेकिन लगातार फड़कना स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी हो सकता है।
आंखों के फड़कने का सबसे बड़ा कारण
आंखों के फड़कने का सबसे बड़ा कारण तनाव और नींद की कमी है। लगातार थकान और मानसिक दबाव से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, जिससे तंत्रिका उत्तेजित होती हैं और पलकों की मांसपेशियां संवेदनशील हो जाती हैं।
इसके अलावा, शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी भी आंखों की फड़कन का कारण बन सकती है। उदाहरण के लिए, मैग्नीशियम की कमी से मांसपेशियां और तंत्रिकाएं अति-सक्रिय हो जाती हैं। इसी तरह, पोटैशियम की कमी से मांसपेशियों में अनियंत्रित ऐंठन होती है। शाकाहारी लोगों में अक्सर विटामिन बी12 की कमी देखी जाती है, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है और आंखों की मांसपेशियां फड़क सकती हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से भी आंखों पर तनाव बढ़ता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें। स्क्रीन की ब्राइटनेस एडजस्ट करें और आंखों को बार-बार झपकाते रहें ताकि वे नम रहें।
इस तरह, आंखों का फड़कना केवल अपशगुन नहीं बल्कि शरीर का चेतावनी संकेत है। इसे नजरअंदाज न करें और पोषण, नींद और तनाव प्रबंधन पर ध्यान दें। अगर समस्या लगातार बनी रहे, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
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