नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसके साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया है।
जानकार इसे आधी-अधूरी जानकारी बता रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें सिर्फ डोनर्स के नाम दिये गये हैं। पाने वाले का जिक्र ही नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SBI ने 13 मार्च को ये जानकारी चुनाव आयोग को दी थी। SBI ने बंद लिफाफे में एक पेनड्राइव दी थी, जिसमें दो पासवर्ड प्रोटेक्टेड PDF फाइल्स थीं।
एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वालों की और दूसरी फाइल में इन बॉन्ड्स को कैश कराने वाली पॉलिटिकल पार्टियों की जानकारी है।
डेटा सार्वजनिक होने के बाद ये तो पता चल गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदा था, लेकिन बॉन्ड किसने कैश कराया, ये पता नहीं चला।
दरअसल, SBI ने अभी बॉन्ड्स के खरीदार और उन्हें कैश कराने वाली पार्टियों की डिटेल अलग-अलग दी है।
आपस में मिलान न होने की वजह से ये साफ नहीं हैं कि किस व्यक्ति ने किस पार्टी को कितने रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड दिए हैं।
कई राजनीतिक दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एसबीआइ की मंशा साफ नहीं लगती। इसलिए मामले में गलतफहमी पैदा करने की कोशिश की गई है।
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