नई दिल्ली, एजेंसियां। ईडी ने आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन झारखंड में 1250 करोड़ रुपये के अवैध पत्थर खनन घोटाले सहित बड़े घोटाले की जांच कर रहे एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचने में शामिल थे।
ईडी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपने हलफनामे में यह खुलासा किया।
ईडी ने दावा किया कि उसके पास इस संबंध में महाधिवक्ता की संलिप्तता के सुबूत हैं। कहा कि हेमंत सोरेन ने राज्य मशीनरी का दुरुपयोग किया और अवैध खनन घोटाले में एजेंसी के गवाह विजय हांसदा द्वारा ईडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।
झारखंड पुलिस ने भी ईडी अधिकारियों के खिलाफ अदालत के समक्ष विजय हांसदा का बयान दर्ज कराया।
ईडी ने हलफनामे में कहा कि महाधिवक्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरी प्रक्रिया उनकी देखरेख में हुई और इस आशय के सुबूत उपलब्ध हैं।
राजीव रंजन के आचरण पर सवाल उठाते हुए ईडी ने कहा कि राज्य के सर्वोच्च विधि अधिकारी होने के नाते महाधिवक्ता ने हेमंत सोरेन का बचाव भी किया और उनकी पेशी और रिमांड के दौरान उनके पक्ष में दलीलें दीं।
जनवरी में ईडी ने हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि ईडी ने विजय हांसदा द्वारा दर्ज अवैध पत्थर खनन के मामलों में से एक को अपने हाथ में लिया था।
यह उन अवैध खनन मामलों में से एक है जिसकी ईडी जांच कर रही है। बाद में शिकायतकर्ता विजय हंसदा नाटकीय अंदाज में अपने बयान से पलट गए और उन्होंने ईडी के सहायक निदेशक देवव्रत झा और सहायक अधिकारी अनुपम कुमार के खिलाफ आईपीसी और एससी, एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई।
पत्थर खनन झारखंड के बड़े घोटालों में से एक है जिसने राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी।
हेमंत सोरेन के प्रमुख सहयोगी पंकज मिश्रा को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर गिरफ्तार किया गया।
यह पहली बार नहीं है जब राजीव रंजन विवादों में आए हैं
दिसंबर 2022 में ईडी ने झारखंड हाईकोर्ट को बताया कि राजीव रंजन और हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने अवैध पत्थर खनन की जांच और हिरासत के दौरान पंकज मिश्रा से पूछे गए सवालों के बारे में जानने के लिए ईडी पर जासूसी करने की योजना बनाई थी।
उन्होंने पंकज मिश्रा से पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान पूछे गए सवालों के बारे में जानने के लिए गुप्त रूप से एक वकील को ईडी कार्यालय भेजने की योजना बनाई थी।
इसके अनुसार प्रदीप नाम के एक वकील को पंकज मिश्रा से मिलवाया गया। लेकिन ईडी ने इस योजना को विफल कर दिया।
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