रांची। कोयला रॉयल्टी के बकाये पर झारखंड में बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच रार छिड़ गई है। राज्य सरकार का दावा है कि केंद्र के पास झारखंड का 1.36 लाख करोड़ बकाया है।
ये पैसे कोयले की रॉयल्टी के हैं। उधर केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उसके पास राज्य का कुछ भी बकाया नहीं है। इसके बाद से ही राज्य सरकार केंद्र पर हमलावर है। राज्य में सत्तारूढ़ झामुमो ने साफ कर दिया है कि बकाया पूरे पैसे नहीं मिले, तो यहां से एक भी कयोला बाहर जाने नहीं दिया जायेगा।
साथ ही अब कोयले की रॉयल्टी भी राज्य सरकार ही लेगी। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड बीजेपी के सांसद और विधायकों को भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार का साथ देना चाहिए।
इसके बाद आज सुबह बाबूलाल मरांडी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर कहा कि राज्य सरकार वर्षवार बकाये का ब्योरा दे, तो वह केंद्र सरकार से बात करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि राज्य सरकार को बताना होगा कि बकाया पैसा किस-किस वर्षों का है।
सरकार पूरा ब्रेकअप दे। उस ब्रेकअप में वर्षवार और परियोजनावार बकाए का आंकड़ा होना चाहिए। अगर आंकड़ा सही हुआ तो हम भी केंद्र पर दबाव डालेंगे कि वह भुगतान करे। सरकार चाहे तो अखबारों में ब्रेकअप को छपवा सकती है। ऐसा हुआ तो सभी जान जाएंगे कि सही में बकाया कितना है।
इधर बाबूलाल मरांडी के बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पलटवार किया है। पार्टी के प्रवक्ता सह केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार को लिखे पत्र में पूरा ब्योरा उपलब्ध करा दिया है।
इसमें वर्षवार बकाये का पूरा आंकड़ा है। बीजेपी अब इस मामले में सिर्फ लीपापोती कर अपना चेहरा बचाना चाह रही है। बहरहाल यह मामला अब थमनेवाला नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार ने मामले में कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। इधर झामुमो और कांग्रेस ने बकाये के भुगतान को लेकर सख्त कदम उठाने की चेतावनी भी दे दी है।
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