सभी 5 आदिवासी सीटों पर हारी
रांची। इस लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से सभी 5 आदिवासी सीटें गवां दी है।
ये सीटें हैं खूंटी, लोहरदगा, सिंहभूम, दुमका और राजमहल। इनमें से 3 सीटें लोहरदगा, खूंटी और दुमका बीजेपी के पास थीं, जिन्हे उसने गवां दिया है।
इस चुनाव परिणाम से जेएमएम ने साबित कर दिया है कि झारखंड में खास कर आदिवासी बहुल इलाकों में अभी भी शिबू सोरेन और उनकी पार्टी की पकड़ मजबूत है।
इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि आज भी संताल परगना और कोल्हान जेएमएम का मजबूत दुर्ग है।
इंडिया अलायंस में शामिल जेएमएम ने दुमका, राजमहल और सिंहभूम सीट जीत हासिल की।
वहीं खूंटी और लोहरदगा सीट पर कांग्रेस को जीत मिली।
आपके वोट से ही जेल का ताला टूटेगा
आपके वोट से ही जेल का ताला टूटेगा के नारे को इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने खूब बुलंद किया।
हर सभा में कल्पना सोरेन ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर बड़ी भावुक अंदाज में अपनी बातें रखीं।
फिर उन्होंने आपके वोट से ही जेल का ताला टूटेगा के नारे को बुलंद किया। लोगों के दिलो दिमाग में हेमंत की गिरफ्तारी पहले से ही छायी थी।
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर पहले से ही नाराजगी थी। जो मतदान के दौरान वोटों में तब्दील होती दिखी।
मानों उन्होंने सरकार चुनने के लिए नहीं, बल्कि अपने नेता को छुड़ाने के लिए वोट दे रहे हों।
सोरेन परिवार का दिखा दबदबा
इस चुनाव में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के बीमार रहने और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल में बंद रहने से दुमका और संताल इलाके के जेएमएम कार्यकर्ताओं में थोड़ी मायूसी भी दिखी।
वहीं इस संकट की घड़ी में सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने भी साथ छोड़ दिया। सीता सोरेन चुनाव के ठीक पहले जेएमएम छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गईं।
बड़ी बहू के जाने के बाद छोटी बहू ने संभांली कमान
जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन के बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद छोटी बहू कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाला।
जेएमएम और इंडिया अलायंस में स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने बखुबी अपनी जिम्मेदारी निभाई।
राज्य में करीब 200 छोटी बड़ी सभाओं में हुंकार भरी और ‘जेल का ताला टूटेगा-हेमंत सोरेन छूटेगा’ का नारा लगाकर जनता को रिझाने में सफल रहीं।
इसी क्रम में कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट से स्वयं चुनाव जीत कर पार्टी कार्यकर्ताओं को अकेले नेतृत्व देने में सफल साबित हुई हैं।
संताल है शिबू सोरेन की कर्मभूमि
संताल परगना जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की कर्मभूमि रही है। इस प्रमंडल में जेएमएम का परम्परागत चुनाव चिह्न तीर कमान का अलग जलवा रहा है।
जंगल से गांव बच्चा-बच्चा तीर धनुष को पहचानता है। इसी चुनाव चिन्ह और जेएमएम के टिकट पर शिबू सोरेन 1980, 1989 और 1991, 1996, 2002 उपचुनाव 2004 ,2009 ,2014 में दुमका से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
वहीं राजमहल सीट पर 1989 और 1991 जेएमएम के टिकट पर साइमन मरांडी और 2004 में हेमलाल मुर्मू चुनाव जीतते रहे हैं।
जबकि 2014 और 2019 में जेएमएम के विजय हांसदा राजमहल में विजयी रहे। वहीं वर्तमान में संताल परगना के 18 विधानसभा क्षेत्र में से बरहेट, बोरियो ,लिट्टिपाड़ा, महेशपुर शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा, नाला और मधुपुर नौ सीटों पर जेएमएम का कब्जा है।
इससे पहले भी जेएमएम 1980 से इस प्रमंडल के इन विधानसभा क्षेत्रों पर कब्ज़ा रहा है।
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