नई दिल्ली, एजेंसियां। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजद्रोह के आरोपी शरजील इमाम को जमानत दे दी है।
मामला 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ा है। भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए शरजील इमाम को लगभग साढ़े चार साल बाद जमानत मिली है।
पुलिस के अनुसार इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भाषण दिया जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को देश से काटने की धमकी दी थी।
इमाम ने निचली अदालत के सामने दावा किया कि वह पिछले चार वर्षों से हिरासत में है और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर अधिकतम सजा सात वर्ष है।
इस हिसाब से वे दोषी सिद्धि होने से पहले ही इस मामले में दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि वह काट चुका है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने इमाम और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा, अपील स्वीकार की जाती है।
क्यों मिली जमानत ?
आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 436-ए के अनुसार अगर किसी व्यक्ति ने हिरासत के दौरान अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि काट ली हो तो उसे कोर्ट जमानत दे सकती है।
हालांकि अदालत ने 17 फरवरी को उसे जमानत देने से इनकार करते हुए अपने फैसले में कहा था कि ‘असाधारण परिस्थितियों’ में आरोपी की हिरासत की अवधि को बढ़ाया जा सकता है।
बता दें कि शरजील इमाम दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी है, जिसमें हिंसा की कथित बड़ी साजिश का मामला भी शामिल है।
वह साजिश के एक मामले में भी न्यायिक हिरासत में है।
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