रांची। रांची के कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में शुक्रवार डेफर्ड लाइव आपरेशन सेशन का आयोजन किया गया। यह आयोजन नेत्र रोग विशेषज्ञों के 21 वें वार्षिक सम्मेलन के पहले दिन किया गया।
इसका आयोजन झारखण्ड ओफ्थाल्मोलोजीकल सोसाइटी के तत्वधान में किया जा रहा है। इस लाइव आपरेशन को सभी नेत्र चिकित्सकों ने देखा और सर्जनो से सवाल-जवाब किया।
डॉ. बिभूति कश्यप और डॉ. निधि गड़कर कश्यप इस डेफर्ड लाइव सर्जरी के संयोजक थे।डेफर्ड लाइव सर्जरी के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय नेत्र सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. समर बसाक थे।
बता दें कि अखिल भारतीय नेत्र सोसाइटी के 82वें वार्षिक अधिवेशन में एजुकेशनल एवं साइंटिफिक गतिविधियों के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टेट सोसाइटी के राष्ट्रीय अवार्ड से लगातार दूसरी बार सम्मानित किया गया है।
झारखण्ड के जिन नेत्र चिकित्स्कों ने मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, नेत्रदान एवं डायबिटिक रेटिनोपैथी के क्षेत्र में जन-जागरूकता अभियान चलाया और जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के प्रशिक्षण के लिए कार्य किया उन्हें डॉ. समर बसाक ने झारखण्ड एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया।

झारखण्ड एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित होने वाले संस्थान एवं डॉक्टर्स में रिम्स रांची, कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल रांची, सीसीएल रांची, बोकारो जनरल हॉस्पिटल, जमशेदपुर तथा धनबाद नेत्र सोसाइटी, डॉ. पिंकी पाल, डॉ. प्रीतिश प्रोणोय एवं डॉ. राशि श्याम शामिल हैं।
झारखण्ड नेत्र सोसाइटी की चेयरपर्सन साईंटीफिक कमिटी डॉ भारती कश्यप ने बताया कि नेत्र सोसाइटी की वार्षिक कांफ्रेंस के डेफर्ड लाइव सर्जरी सत्र में माइनस पॉवर कम करने के ऑपरेशन से लेकर पलक, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, रेटिना की 11 तरह की नयी-नयी सर्जिकल तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
वहीं, डॉ. समर बसाक ने कहा कि यह सभी लोगों को पता है कि नेत्रदान से बड़ा और कोई दान नहीं है। बावजूद इसके नेत्रदान की जितनी आवश्यकता है वह पूरी नहीं हो पाती है। इसकी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है।
लेकिन झारखंड में नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक कराने में कश्यप मेमोरियल आई बैंक और आई डोनेशन अवेयरनेस क्लब ने काफी प्रयास किया है। लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल रन फॉर विजन का आयोजन और उसमें बड़ी-बड़ी हस्तियों का शिरकत करना, इस प्रयास को चार चांद लगाता है।
डेफर्ड लाइव सर्जरी पहले कैटरेक्ट सत्र में डॉ. बी.पी. कश्यप, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. अरविन्द मौर्या एवं डॉ. पार्थो बिस्वास ने कड़े हो चुके एवं पके हुए सफेद मोतियाबिंद में अलग-अलग नवीन सुरक्षित तकनीकों का प्रदर्शन किया, जिसे झारखण्ड के सभी नेत्र चिकित्सकों एवं सभी शिक्षण संस्थाओं के नेत्र विभाग के छात्रों ने देखा और सीखा।
डेफर्ड लाइव सर्जरी के दूसरे ग्लूकोमा सत्र में डॉ. साहेबान सेठी ने ग्लूकोमा सर्जरी की मिनीमली इनवेसिव ग्लूजकोमा सर्जरी (एमआईजीएस) नई तकनीक को प्रदर्शित किया। यह नई तकनीक भारत में ग्लूकोमा रोगियों के लिए एक क्रांतिकारी आशा की किरण के रूप में उभरी है।
यह मौजूदा पारंपरिक ग्लौकोमा सर्जरी की तुलना में अत्यधिक सुरक्षित है, आंख के लिए कम चोटिल और जल्द रिकवरी होती है। इस सर्जरी को हम ग्लूकोमा के प्रारम्भिक अवस्था में ही कर सकते है ताकि हम आंख की रौशनी जाने से बचा सकें, जबकि अब तक की पारंपरिक सर्जरीयों में प्रारम्भिक अवस्था में हम सर्जरी नही करते।
झारखण्ड के सैकड़ो नेत्र विशेषज्ञों के साथ इस नई तकनीक, MIGS को करने के लिए बहुत महतवपूर्ण सुझाव और तकनीक साझा की गयी।
डेफर्ड लाइव सर्जरी के तीसरे रेटिना सत्र में आखों के पर्दे के बीच के भाग मैक्यूला में हुए छेद की जटिल सर्जरी का प्रदर्शन किया गया।
डेफर्ड लाइव सर्जरी के चौथे सत्र में झारखण्ड के नेत्र सर्जन डॉ. बी.पी. कश्यप के द्वारा आई.पी.सी.एल. के प्रत्यारोपण की तकनीक से संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव साझा किया गया।
डेफर्ड लाइव सर्जरी के पांचवें लीड सर्जरी सत्र में डॉ. अक्षय नायर के द्वारा झुकी हुई पलक की आधुनिक एम.एम.सी.आर. सर्जरी का प्रदर्शन किया गया।
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