Corporations without chairpersons:
रांची। झारखंड में उपभोक्ताओं और जनहित से जुड़े 16 बोर्ड, निगम और आयोगों में अध्यक्षों के पद खाली हैं, जिससे शासन व्यवस्था प्रभावित हो रही है और उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। राज्य खाद्य आयोग, जो खाद्य वितरण पर निगरानी और शिकायतों को सुनने का अधिकार रखता है, समेत उपभोक्ता आयोग, बाल संरक्षण आयोग, विद्युत नियामक आयोग और मानवाधिकार आयोग जैसे कई महत्वपूर्ण संस्थानों में अध्यक्ष नहीं हैं।
Corporations without chairpersons: कौन कर रहा है इन पदों का संचालन?
इन पदों का संचालन फिलहाल प्रभारी अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है, जो प्रभावी नहीं माना जा रहा। खास बात यह है कि विद्युत नियामक आयोग में लगभग तीन साल से अध्यक्ष का पद रिक्त है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर चिंता बढ़ी है। इसके अलावा, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, लोकायुक्त, सूचना आयोग, पिछड़े वर्ग आयोग, महिला आयोग, निर्वाचन आयोग और विद्युत लोकपाल जैसे अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों में भी अध्यक्ष नहीं होने की वजह से प्रशासनिक सुस्ती देखी जा रही है। जबकि कुछ संस्थानों जैसे झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण, राज्य युवा आयोग, राज्य आवास बोर्ड आदि में अध्यक्ष पद भरे हुए हैं। इस स्थिति से उपभोक्ताओं और जनता की समस्याओं का समाधान धीमा हो गया है, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है।
Corporations without chairpersons: विशेषज्ञों का कहना है
विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यक्ष पद रिक्त रहने से न केवल संस्थानों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, बल्कि यह शासन की जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए भी खतरा है। सरकार से आग्रह है कि जल्द से जल्द इन पदों को भरकर जनहित और शासन व्यवस्था को मजबूत किया जाए ताकि जनता की शिकायतों का त्वरित निपटारा हो सके और संस्थानों का उद्देश्य पूरा हो सके।
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