नयी दिल्ली, एजेंसियां : पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप रे ने दिल्ली उच्च न्यायालय से झारखंड में 1999 में कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया।
रे को इस मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया और पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री रहे 71 वर्षीय रे के आवेदन पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि पांच अप्रैल तय की।
रे का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह (रे) आगामी चुनाव लड़ना चाहते हैं और इसलिए अपनी सजा पर रोक लगाने का अनुरोध कर रहे हैं।
सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर एस चीमा और वकील तरन्नुम चीमा ने कहा कि वे आवेदन पर जवाब दाखिल करेंगे जिसके लिए उन्हें कुछ समय चाहिए।
उच्च न्यायालय ने 27 अक्टूबर, 2020 को पूर्व केंद्रीय मंत्री रे की दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था और उनकी तीन साल की जेल की सजा को स्थगित कर दिया था।
रे का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अब परिस्थितियों में बदलाव के मद्देनजर दोषसिद्धि के संबंध में आदेश को स्थगित करने के संबंध में राहत का अनुरोध कर रहे हैं।
निचली अदालत ने 26 अक्टूबर, 2020 को रे को तीन साल जेल की सजा सुनाई थी और साथ ही उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
उनके अलावा निचली अदालत ने कोयला मंत्रालय के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम को भी तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी। दोनों अब लगभग 80 साल के हैं।
यह मामला 1999 में झारखंड के गिरिडीह में ब्रह्मडीह कोयला खदान के आवंटन से संबंधित है।
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