रांची। चार दिवसीय सूर्य उपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। पटना, मुजफ्फरपुर, जमेशदपुर, रांची और गया सहित सभी जगहों पर नदियों, तालाबों पर बने घाट पर जाकर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।
गया जिले के डुमरिया प्रखंड के मैगरा गांव में सोरहर नदी के किनारे बने छठ घाट पर छठ व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ संपन्न किया।
छठ पूजा के चौथे दिन उगते सूर्य यानी उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतियों ने 36 घंटे का अपना निर्जला उपवास का पारण किया। सभी के बीच ठेकुआ-केला प्रसाद का वितरण किया गया।
महापर्व से जुड़ी हैं कई पौराणिक मान्यताएः
अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य देने के पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं। मान्यताओं के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियंवद ने भी छठ व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से मुक्ति के लिए भगवान भास्कर ने भी छठ व्रत किया था।
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