No Kings protest Times Square:
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिका के कई बड़े शहरों में 18 अक्टूबर को हजारों लोगों ने ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ में हिस्सा लिया। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर, वाशिंगटन और बोस्टन जैसे शहरों में आयोजित यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था। प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देना था कि अमेरिका में कोई ‘राजा’ नहीं है और किसी व्यक्ति के हाथ में असीम शक्ति नहीं हो सकती।
प्रदर्शन का मुख्य कारण
प्रदर्शन का मुख्य कारण ट्रंप की निरंकुश नीतियां हैं, जिनसे अमेरिका में लोकतंत्र का संतुलन प्रभावित हो रहा है। ट्रंप की प्रशासनिक नीतियों में शरणार्थी नीति में कड़ाई, थर्ड जेंडर की मान्यता समाप्त करना और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर फैसले शामिल हैं। इसके अलावा, वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट और एच1बी वीजा की बढ़ी फीस ने आम अमेरिकी नागरिकों को प्रभावित किया। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी झंडे लहराए और ‘नो किंग्स’ के नारे लगाए, यह संदेश देने के लिए कि किसी व्यक्ति के हाथ में संपूर्ण शक्ति नहीं होनी चाहिए।
प्रदर्शनकारियों में आम नागरिकों
प्रदर्शनकारियों में आम नागरिकों के अलावा कई राजनीतिक नेताओं का भी समर्थन मिला, जिनमें सीनेटर बर्नी सैंडर्स और कांग्रेस सांसद अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज शामिल हैं। आयोजकों ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ लोकतंत्र की रक्षा करना और राष्ट्रपति के कार्यकारी अधिकारों के असीम विस्तार का विरोध करना है।
नो किंग्स प्रोटेस्ट जून 2025 में शुरू हुआ था, और तब से अमेरिकी नागरिक लगातार सड़कों पर उतरकर राष्ट्रपति की नीतियों पर चिंता और विरोध जताते रहे हैं। प्रदर्शन में यह स्पष्ट किया गया कि अमेरिका में लोकतंत्र ही सर्वोपरि है और किसी एक व्यक्ति को absolute power नहीं दिया जा सकता। इस आंदोलन ने राष्ट्रपति ट्रंप के लिए एक चेतावनी का संदेश भी दिया कि जनता अपने अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए सजग है।
कुल मिलाकर, नो किंग्स प्रोटेस्ट अमेरिका में लोकतंत्र की मजबूती और निरंकुश सत्ता के खिलाफ शांतिपूर्ण आवाज़ का प्रतीक बन गया है।
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