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वाराणसी, एजेंसियां। वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर के घाट इसकी पहचान और आस्था के प्रतीक हैं। हर घाट की अपनी अलग कथा, महत्व और आकर्षण है। अगर आप अभी बनारस की यात्रा नहीं कर पा रहे, तो इन तस्वीरों के जरिए आप काशी के घाटों की आध्यात्मिक यात्रा कर सकते हैं।
• दशाश्वमेध घाट – काशी का सबसे प्रसिद्ध और व्यस्त घाट, जहां हर शाम होने वाली गंगा आरती विश्वभर के लोगों को आकर्षित करती है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे।
• अस्सी घाट – युवाओं और पर्यटकों का प्रिय स्थल। यहां गंगा और अस्सी नदी का संगम है। सुबह की गंगा आरती और योग सेशन इसकी विशेष पहचान है। मान्यता है कि देवी दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद अपनी तलवार यहीं गाड़ दी थी।

• मणिकर्णिका घाट – मोक्ष का प्रतीक और काशी का सबसे पवित्र श्मशान घाट। मान्यता है कि यहां भगवान शिव मृतक के कान में राम नाम का उपदेश देते हैं।
• हरिश्चंद्र घाट – सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र से जुड़ा यह घाट भी श्मशान स्थल है, जो सत्य और मोक्ष का संदेश देता है।
• पंचगंगा घाट – पांच नदियों के संगम का प्रतीक यह घाट धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है। यहां कई संतों ने तपस्या की है।
• तुलसी घाट – संत कवि गोस्वामी तुलसीदास से जुड़ा यह घाट, जहां उन्होंने रामचरितमानस की रचना की थी। आज भी यहां रामलीला और धार्मिक आयोजन होते हैं।
• दरभंगा घाट – राजसी स्थापत्य का शानदार उदाहरण, जहां दरभंगा महाराज द्वारा निर्मित हवेली और कलात्मक नक्काशी देखने लायक है। यह घाट फोटोग्राफरों और पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है।
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