Bihar’s political:
पटना, एजेंसियां। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जारी सी-वोटर का ताजा सर्वे राज्य की राजनीति में नया समीकरण लेकर आया है। इस सर्वे में जनता की राय ने साफ संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे तेजस्वी यादव हैं, जबकि प्रशांत किशोर की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। वहीं नीतीश कुमार का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है, जो जदयू के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
कौन आगे, कौन पीछे वोट शेयर का गणित
सी-वोटर सर्वे के अनुसार, एनडीए (भाजपा + जदयू) को इस समय 40.2 प्रतिशत समर्थन मिल रहा है। वहीं महागठबंधन (राजद + कांग्रेस) को 38.3 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। सबसे दिलचस्प आंकड़ा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का है, जिसे 13.3 प्रतिशत जनता का समर्थन प्राप्त हुआ है।
इन नतीजों से स्पष्ट है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच केवल 2 प्रतिशत का अंतर रह गया है, जो चुनावी समीकरण को बेहद रोमांचक बना देता है। अगर जन सुराज पार्टी यह समर्थन वोट में तब्दील करने में सफल रही, तो वह बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकती है।
राहुल गांधी की यात्रा का असर
सर्वे में एक अहम सवाल यह था कि क्या राहुल गांधी की “वोट अधिकार यात्रा” का बिहार में असर दिख रहा है?
51 प्रतिशत लोगों ने माना कि इस यात्रा से महागठबंधन को फायदा होगा। जबकि 32.8 प्रतिशत ने कहा कि इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, और 16.2 प्रतिशत ने कोई राय नहीं दी।यह आंकड़ा दिखाता है कि राहुल गांधी की यात्रा ने तेजस्वी यादव के पक्ष में माहौल बनाने में मदद की है, जिससे महागठबंधन के समर्थकों में नया उत्साह देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कौन आगे?
मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पसंद में तेजस्वी यादव सबसे आगे हैं। अक्टूबर 2025 के सर्वे में उन्हें 36.2 प्रतिशत समर्थन मिला है। जून में यह आंकड़ा 34.9 प्रतिशत था, जबकि फरवरी में 40.6 प्रतिशत था यानी तेजस्वी अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।
वहीं, प्रशांत किशोर 23.2 प्रतिशत समर्थन के साथ दूसरे नंबर पर हैं। उनकी लोकप्रियता युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों के बीच तेजी से बढ़ी है।
नीतीश कुमार का ग्राफ घटकर 15.9 प्रतिशत रह गया है, जो जदयू के लिए चिंताजनक संकेत है।
चिराग पासवान को 8.8 प्रतिशत और भाजपा नेता सम्राट चौधरी को 7.8 प्रतिशत समर्थन मिला है।
जन सुराज पार्टी की बढ़ती पकड़
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने अब तक 51 उम्मीदवारों की सूची जारी की है और 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सर्वे के अनुसार, युवाओं और पढ़े-लिखे वर्ग में उनका प्रभाव बढ़ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि यह ट्रेंड जारी रहा, तो जन सुराज बिहार में एक तीसरा सशक्त मोर्चा बन सकता है, जो एनडीए और महागठबंधन दोनों के समीकरण बिगाड़ सकता है।
SIR विवाद और जनता की राय
सर्वे में स्पेशल वोटर रिवीजन (SIR) को लेकर जनता की राय बंटी हुई दिखी।
46 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे एनडीए को फायदा होगा, जबकि 21.7 प्रतिशत ने इसे महागठबंधन के पक्ष में बताया। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में लगभग 65 लाख नाम हटाए गए और सिर्फ 21 हजार नए जोड़े गए, जिससे सरकार पर प्रशासनिक पक्षपात के आरोप लगे हैं।
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