Bihar Elections 2025:
पटना, एजेंसियां। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं, और AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) का महागठबंधन में शामिल होने के लिए लालू यादव को चिट्ठी लिखना एक अहम मोड़ है। AIMIM, जो खासकर बिहार के सीमांचल इलाके में अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी है, अब महागठबंधन में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है। इस प्रयास से बिहार की सियासत में कई नए समीकरण बन सकते हैं।
AIMIM की चिट्ठी में यह बात उठाई गई है कि सेक्युलर वोटों को एकजुट करना जरूरी है, ताकि बीजेपी की बढ़त को रोका जा सके। वहीं, RJD के नेता मनोज झा का कहना है कि अगर AIMIM सच में बीजेपी को हराना चाहती है, तो उसे महागठबंधन को केवल सैद्धांतिक समर्थन देना चाहिए, बजाय इसके कि वह चुनावी मैदान में उतरे।
AIMIM का बिहार में राजनीतिक रोल:
अगर AIMIM महागठबंधन में शामिल होती है, तो यह सेक्युलर वोटों को एकजुट करने में मदद कर सकती है, खासकर मुस्लिम और यादव वोटों को। AIMIM ने कहा है कि वह सीमांचल के महत्वपूर्ण सीटों पर समझौता करने को तैयार है। AIMIM यदि अकेले चुनाव लड़ती है, तो वह 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी किस्मत आजमाने का इरादा रखती है, जिससे मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है और इसका फायदा NDA को हो सकता है।
मुस्लिम वोटों का बंटवारा:
AIMIM के चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो सकता है, जो पारंपरिक रूप से RJD के पक्ष में होते हैं। 2020 के चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5.23 लाख वोट (1.24%) हासिल किए थे, जो मुख्य रूप से सीमांचल से आए थे। अगर AIMIM अकेले चुनाव लड़ती है तो RJD को नुकसान हो सकता है, और इस बार भी अगर मुस्लिम वोट बंटते हैं तो इसका फायदा NDA को मिल सकता है।
तीसरे मोर्चे की संभावना
AIMIM ने यह भी संकेत दिए हैं कि अगर महागठबंधन में बात नहीं बनती, तो वह तीसरा मोर्चा बना सकती है, जैसा कि 2020 में उन्होंने BSP और RLSP के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था, जिसने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार अगर AIMIM ऐसा मोर्चा बनाती है, तो यह NDA और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।
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