Monday, June 23, 2025

Bharat Bandh on June 10: बसवराजू की मौत से नाराज नक्सलियों ने 10 जून को बुलाया भरत बंद [Angry with Basavaraju’s death, Naxalites called for Bharat Bandh on June 10]

Bharat Bandh on June 10:

रायपुर, एजेंसियां। भाकपा (माओवादी) के महासचिव, कुख्यात नक्सली नंबाला केशवराव उर्फ बसवराजू उर्फ गगन्ना सहित 27 नक्सलियों के मारे जाने के विरोध में माओवादियों ने 10 जून को राष्ट्रव्यापी बंद का ऐलान किया है।

माओवादी केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने इस मुठभेड़ को गृह मंत्रालय के निर्देश पर की गई पूर्व नियोजित हत्या बताया है। साथ ही, 11 जून से 3 अगस्त तक मारे गए माओवादियों की स्मृति में श्रद्धांजलि सभाएं एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अभय ने बताया कि मार्च 2025 में न्यायमूर्ति चंद्रकुमार की अध्यक्षता में केंद्र सरकार द्वारा हैदराबाद में शांति वार्ता समिति गठित की गई थी। माओवादियों ने इसका समर्थन करते हुए संघर्ष विराम की घोषणा की थी। 2 महीने तक संगठन ने अत्यधिक संयम बरता, लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा अभियान जारी रखे गए। इस अवधि में 85 माओवादी मारे गए, जिससे वार्ता का विश्वास ही टूट गया।

Bharat Bandh on June 10: 2001 से 2025 तक बसवाराजू ने सक्रिय भूमिका निभाईः

बयान में बताया गया कि 2001 से 2025 तक बसवराजू ने माओवादी आंदोलन की नीति निर्माण प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी के कई रणनीतिक दस्तावेजों के निर्माण में मार्गदर्शन किया। उनकी मृत्यु से आंदोलन को गहरा झटका लगा है, परंतु यह स्थायी क्षति नहीं है।
प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के महासचिव बसवराजू को विद्रोही संगठन में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता था। उसकी मौत को माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बसवराजू भारत में हुए कुछ सबसे घातक माओवादी हमलों के पीछे मुख्य रणनीतिकार था।

Bharat Bandh on June 10: दंतेवाड़ा नरसंहार के पीछे था बसवाराजूः

बताया जाता है कि वह 2010 के दंतेवाड़ा नरसंहार के पीछे था, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे, और 2013 में छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी में हुए हमले के पीछे भी वह ही था, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाया गया था।

Bharat Bandh on June 10: एक करोड़ का इनामी था बसवाराजूः

नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू पर छत्तीसगढ़ सरकार ने एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी उस पर अलग-अलग इनाम घोषित थे। उसकी गिनती उन चुनिंदा नक्सल नेताओं में होती थी जो पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति दोनों सर्वोच्च निकायों में शामिल था। उसे एक ऐसा नक्सल नेता माना जाता था जो जंगल में अपनी तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था और नेटवर्क के कारण कभी भी पकड़ा नहीं गया। लेकिन, सुरक्षाबलों ने उसे चकमा देते हुए मार गिराया।

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