रांची। वकीलों को धमकी मिलने और उनकी हत्या तक कर देने की घटनाओं को झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने गंभीरता से लिया है।
काउंसिल वैसे अधिवक्ताओं की जानकारी जुटा रहा है, जिनके उपर अपराधिक हमले हुए हैं या जिन्हें अपराधकर्मियों ने धमकी दी है।
इसे लेकर झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने राज्य के सभी जिला बार एसोसिएशन और स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों को पत्र लिखा है।
स्टेट बार काउंसिल, बार एसोसिएशन की मदद से शारीरिक रूप से दिव्यांग वकीलों की जानकारी भी इकठ्ठा कर रहा है।
बता दें कि हाल के वर्षों में झारखंड में कई अधिवक्ताओं के साथ हिंसक घटनाएं हुई हैं। पिछले तीन-चार सालों में 100 से ज्यादा वकीलों के साथ हिंसक घटनाएं हुई हैं।
जिन अधिवक्ताओं के साथ हिंसा की घटना हुई हुई हैं, उसमें अलग-अलग जिलों के सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले से लेकर झारखंड हाईकोर्ट के वकील शामिल हैं।
कुछ मामलो में तो अधिवक्ताओं की हत्या भी हो चुकी है।
इन वकीलों की हुई हत्याः
– रांची में अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह के घर में घुसकर हत्या। घटना के पीछे की वजह जमीन विवाद बताया गया था।
– जमशेदपुर में अधिवक्ता प्रकाश यादव की हत्या।
– तमाड़ में रांची के वकील मनोज झा की हत्या, घटना के वक्त वह जमीन पर बाउंड्री का काम देखने गए थे।
– चतरा के अधिवक्ता जगन्नाथ पंडित की हत्या।
इन वकीलों को मिली धमकीः
आपराधिक चरित्र के लोगों के अलावा दूसरे तरह के लोग भी अधिवक्ताओं को धमकी देते रहते हैं।
हाल के दिनों में रांची सिविल कोर्ट की अधिवक्ता पूनम कुमारी, चिरंजीवी मंडल, पवन खत्री, सरफराज अहमद, उदय कुमार, विजय प्रकाश और मनमोहन कुमार को धमकी मिली।
इनके अलावा स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत शिकरवार पर भी हजारीबाग में हमला हुआ था।
साहेबगंज के अधिवक्ता इकबाल हुसैन और देवद्रत कुमार ने तो धमकी की प्राथमिकी भी दर्ज करायी है।
इसी तरह बोकारो की महिला वकील ज्योति कुमारी, रंजन मिश्रा, संजय ठाकुर ने भी धमकी के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज करवाई है।
प्राथमिकी में तीनों ने अपनी जान का खतरा बताया है। पाकुड़ के अधिवक्ता दीपक ओझा, पलामू की अधिवक्ता सुष्मिता तिवारी और जमशेदपुर के अधिवक्ता गौरव पाठक को भी धमकी मिल चुकी है।
इन अधिवक्ताओं ने भी धमकी देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
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