Ghatsila election 2025:
रांची। झारखंड की राजनीति में घाटशिला उपचुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि असली टकराव पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच माना जा रहा है। भाजपा ने चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारा है, जबकि झामुमो ने दिवंगत रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन पर भरोसा जताया है।
“कोल्हान टाइगर”
चंपाई सोरेन, जिन्हें कभी “कोल्हान टाइगर” कहा जाता था, ने अगस्त 2024 में झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थामा। अब उनका उद्देश्य अपने बेटे के माध्यम से राजनीतिक पुनर्वास करना है। वहीं, हेमंत सोरेन के लिए यह चुनाव उनके नेतृत्व और साख की परीक्षा है। उन्हें साबित करना है कि वे झारखंड के निर्विवाद आदिवासी नेता हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रामदास सोरेन के निधन के बाद झामुमो के विधायकों की संख्या 34 रह गई है, इसलिए पार्टी किसी भी कीमत पर घाटशिला सीट नहीं खोना चाहती। भाजपा इस चुनाव को चंपाई सोरेन की वापसी और पार्टी में प्रभाव स्थापित करने का अवसर मान रही है।इतिहास देखें तो 2014 में भाजपा के लक्ष्मण टूडू ने यह सीट जीती थी, जबकि 2019 में रामदास सोरेन ने जीत दर्ज की। 2025 में दोनों दल अपनी साख बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि यह मुकाबला सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि रिश्तों और राजनीतिक प्रभाव का भी है।
घाटशिला उपचुनाव तय करेगा कि कोल्हान में “गुरु-चेले” की परंपरा जारी रहेगी या नया नेतृत्व अपने दमदार अंदाज से पुरानी सत्ता को चुनौती देगा। Tiger Champai और Sher Dil Hemant की यह भिड़ंत झारखंड की राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है।
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