रांची। झारखंड में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ी हुई हैं। भले ही ऊपर से सबकुछ नार्मल दिख रहा हो पर ऐसा नहीं है। बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जाल बुन रही है।
चंपाई सोरेन की जेएमएम और हेमंत सोरेन से नाराजगी जाहिर होने के बाद सब कुछ नार्मल हो भी नहीं सकता।
खास बात यह है कि चंपाई सोरेन ने जितनी अधीरता दिखाई, हेमंत उतने ही संयमित दिखे। दोनों ने अपने-अपने हिसाब से एक दूसरे को पटखनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पर, चंपाई ने ढोल बजा दिया और हेमंत कुशल कूटनीतिक की तरह अपनी चाल चलते रहे। आज झारखंड में चंपाई सोरेन की बेचैनी और हेमंत सोरेन की चुप्पी की ही चर्चा है।
चंपाई की गतिविधियों पर हेमंत की नजर
चंपाई सोरेन के सीएम पद छोड़ते ही भाजपा नेताओं ने जब इसे उनके प्रति अन्याय और अपमान का राग अलापना शुरू किया, तभी से हेमंत सोरेन चौकन्ना थे।
बिना कोई प्रतिक्रिया दिए वे वेट एंड वाच की मुद्रा में आ गए। साथ ही उन्होंने कोल्हान के विधायकों से संपर्क बनाये रखा।
चंपाई ने दिल्ली दौरे का जो तरीका अपनाया, उससे हेमंत को माजरा समझ में आ गया। चंपाई ने दिल्ली जाने के लिए रांची से गांव और वहां से कोलकाता जाकर प्लेन पकड़ी।
दिल्ली जाने का मकसद उन्होंने निजी काम बताया। भाजपा में जाने या दूसरे किसी मकसद का उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया। लेकिन इसी दौरान सोशल मीडिया पर आए भावुक पोस्ट ने उनकी असलियत उजागर कर दी।
हेमंत ने डैमेज कंट्रोल की कमान अपने हाथ में ले ली। उन्होंने कोल्हान के विधायकों को बुला कर बारी-बारी और फिर सामूहिक सबसे बात की। सबने एकजुटता और पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाई।
बीजेपी को बदलना पड़ा प्लान
भाजपा ने चंपाई को लेकर दो तरह का प्लान तैयार किया था। पहला यह था कि वे अपने साथ कुछ विधायकों को लेकर आएं।
जब यह कामयाब नहीं हुआ तो भाजपा ने प्लान बी पर काम शुरू किया। चंपाई को लौटने और नई पार्टी बनाने का भाजपा ने सुझाव दिया।
पार्टी बना कर चंपाई विधानसभा की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। इससे जेएमएम के वोटों में बंटवारा हो जाएगा। इससे भाजपा को फायदा होगा।
चंपाई भाजपा की स्क्रिप्ट पर ही अमल कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट की योजना भी भाजपा की ही थी, जिसमें उन्होंने अपने अपमान का हवाला देकर तीन विकल्प सुझाए थे। इनमें एक विकल्प के रूप में अलग पार्टी बनाना भी शामिल था।
चंपाई को अपने बेटे की भी है चिंता
चंपाई की चिंता अपने विधायक बने रहने के साथ बेटे को भी विधायक बनाने की है। जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपनी मंशा हेमंत सोरेन के सामने भी जाहिर की थी।
हेमंत ने दो टूक कह दिया कि ऐसा संभव नहीं है। अगर वे बेटे के लिए टिकट चाहते हैं तो उन्हें अपनी सीट खाली करनी पड़ेगी।
चंपाई पोटका सीट बेटे के लिए चाहते थे। सीएम पद छिन जाने से दुखी चंपाई तभी से दूसरे विकल्प की तलाश में जुटे हुए थे। भाजपा ने भनक मिलते ही उन पर डोरा डाल दिया।
चंपाई की पार्टी होगी झारखंड नामधारी
चंपाई सोरेन ने अब अपनी अलग पार्टी बनाने का खुल कर संकेत दे दिया है। अगर वे नई पार्टी बनाते हैं तो उसके नाम की भी चर्चा होने लगी है।
चर्चा यह भी है कि नई पार्टी भी झारखंड नामधारी ही होगी। बहुत संभव है कि उसका नाम भी झारखंड मुक्ति मोर्चा (चंपाई) हो। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के साथ ऐसा ही हुआ था।
ऐसा हुआ तो जेएमएम के वोटर कन्फ्यूज हो सकते हैं और हेमंत सोरेन को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भाजपा अपने कोर वोटर के सहारे लाभ की स्थिति में होगी। चंपाई की पार्टी पहले या बाद में एनडीए का हिस्सा बन जाएगी।
चंपाई को लेकर चुप हैं हेमंत और जेएमएम
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात साफ-साफ दिख रही है कि चंपाई के तेवर अंदाज देखने के बावजूद हेमंत सोरेन ने कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है।
उनके लिए अपमानसूचक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है, जैसा कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने किया है।
बन्ना ने कहा है कि अनुकंपा पर सीएम की कुर्सी पाने वाले चंपाई विभीषण बन गए हैं। हेमंत ने अब भी उन्हें मंत्री बनाए रखा है।
जेएमएम ने चंपाई की ऐसी गतिविधियों को लेकर न कोई चेतावनी दी है और न उनसे कारण ही पूछा है। एक तरह से हेमंत ने इसका नोटिस ही नहीं लिया है।
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