रांची। सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से लाखों रुपये के सरकारी राशि का गबन करने से जुड़े 25 साल पुराने मामले में रांची सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
अलकतरा घोटाले के नाम से चर्चित इस मामले में कोर्ट ने तीन इंजीनियरों को तीन-तीन की सजा सुनाई है।
साथ ही अदालत ने ट्रायल फेस कर रहे तीनों आरोपियों जूनियर इंजीनियर विवेकानंद चौधरी, कुमार विजय शंकर (दोनों सेवानिवृत्त) और बिनोद कुमार मंडल पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
तीनों को आरईओ वर्क्स डिवीजन रांची में पदस्थापित रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षड्यंत्र के तहत लाखों रुपये के सरकारी राशि का गबन करने का दोषी पाया गया है।
1992 से 1997 तक हुआ अलकतरा घोटाला
अलकतरा घोटाला साल 1992-93 से लेकर 1997 तक जारी रहा। घोटाला की जानकारी मिलने के बाद इसकी जांच सीबीआई से करायी गयी।
सीबीआई ने इस मामले में छह दिसंबर 1999 को प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोपियों ने 12 अलग-अलग सड़कों की मरम्मत का कार्य दिखाकर अलकतरा की मांग की और सड़कों की मरम्मति किये बिना अलकतरा के लिए आवंटित राशि की निकासी कर ली।
सीबीआई के मुताबिक, लगभग 1500 मिट्रिक टन अलकतरा आईओसीएल से ट्रांसपोर्टर के माध्यम से आरोपियों ने प्राप्त किया।
अलकतरा लाने वाले को ट्रांसपोर्टर चालान भी दिया. लेकिन स्टॉक रजिस्टर में प्राप्ति से काफी कम मात्रा दिखायी गयी।
इस गबन को छिपाने के लिए जनवरी 1997 में एक फर्जी अकाउंट तैयार किया गया था। इस अकाउंट में न ही आपूर्ति आदेश और न ही ट्रक नंबर अंकित था।
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